टाइम्स एमपी ने कल प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर…

देवास। कोविड-19 को लेकर देश ही नहीं दुनिया में कोहराम मचा है। मरीजों की संख्या का आंकड़ा गुणात्मक बढ़ रहा है। इतना होने के बाद भी देवास जिले के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक के बाद एक सामने आ रही है। पिछले दिन चापड़ा के 65 वर्षीय बुजुर्ग की मौत कोरोना संक्रमण के चलते 29 जुलाई को इंदौर में हो गई थी। लापरवाही का आलम यह की न तो इंदौर के संबंधित अस्पताल प्रबंधन ने देवास जिला प्रशासन या देवास के स्वास्थ्य विभाग को सूचना देना उचित समझा और ना ही देवास के स्वास्थ्य विभाग ने इस बात की जहमत उठाई की उनके क्षेत्र से कौन-कौन लोग इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में जाकर उपचार ले रहे हैं और वह मरीज कोरोना संक्रमित हैं।
हैरानी की बात तो यह कि यह मरीज पहले देवास के अमलतास अस्पताल में भर्ती थे, जहां पहले इनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई और बाद में 27 जुलाई को दोबारा जांच कराने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। देवास में स्वास्थ्य में सुधार ना होने के चलते परिजनों ने मरीज को इंदौर के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट किया था, जहां 29 जुलाई को मरीज की मौत हो गई।
आपको बता दें बुजुर्ग की मौत के 10 दिन बाद और पॉजिटिव रिपोर्ट आने के 12 दिन बाद शनिवार को मेडिकल टीम उनके घर परिजनों के सैंपल लेने पहुंची। जबकि मृतक के परिजन 12 दिन की अवधि अपने घर में ही बिता चुके हैं। 27 जुलाई को मरीज की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के दो तीन दिवस के अंदर ही सेम्पल लिए जाने चाहिए थे।
देवास जिला प्रशासन को इस दिशा में गंभीर कदम उठाए जाने की जरूरत है कि अगर जिले का कोई मरीज इंदौर या भोपाल के निजी अस्पतालों में भर्ती होकर कोरोना का उपचार कराता है तो उन शहरों के संबंधित अस्पताल प्रबंधन का दायित्व बनता है कि वह इसकी सूचना मरीज के ग्रह जिले के प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल मुहैया कराएं।
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