सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। पिछले कई वर्षों से वर्तमान में नगर में कई विकास कार्य लंबे समय से लंबित पड़े है। वहीं जवाबदारों की कार्यप्रणाली पर नजर डालें तो प्रतीत होता है जैसे इन लंबित पड़े विकास कार्यों को पूर्ण करने में इनकी कोई विशेष रूचि ही नहीं हो। कोरोना काल की आड़ में अब कई अधिकारी अपनी हठधर्मिता चलाते हुए अपने दायित्वों की निष्ठा पूर्ति करने के बजाय निजी हितों की पूर्ति में जुटे हुए अधिक प्रतीत हो रहे हैं। इधर सोनकच्छ नगर परिषद सीएमओ के एन चौहान की कार्यप्रणाली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। नगर परिषद भवन की बात हो अथवा पिपलेश्वर मार्ग की बात हो या फिर पेयजल योजना के अंतर्गत नगर के वार्डों की दुर्दशा पर चर्चा की बात हो….. जनहित से जुड़े इन मुद्दों पर चर्चा करना तो दूर विगत दो हफ्तों से परिषद कार्यालय तक में साहब के दर्शन नहीं हुए है। इस बीच यदा-कदा साहब परिषद कार्यालय पर आए भी तो कागजी कार्रवाइयों पर इतिश्री करते हुए निकल गए। वहींं बीते 12 – 13 दिनों से सीएमओ चौहान का फोन बंद है। जब जनप्रतिनिधि सहित मीडिया कर्मी भी सीएमओ से मुलाकात तो दूर दूरभाष पर चर्चा भी नहीं कर पा रहे हैं तब आम जनता व हितग्राहीयों की स्थिति क्या होगी…?
इधर जानकारी लेने पर साहब का फोन गिर गया है, खराब हो गया है, साहब अभी उज्जैन है अभी देवास मीटिंग में है। इस तरह का हवाला देते स्थानीय कर्मचारी नजर आते हैं। गौरतलब विषय तो यह है कि मंडी प्रांगण के पीछे मोदी कॉलोनी में सीएमओ ने घर भी किराए पर लिया है। लेकिन लगातार 10 -12 दिनों से यहांं ताला लगा हुआ है। चर्चाएंं हैं कि साहब मुख्यालय पर टिकते ही नहीं है।
विकास कार्यों में अनियमितता पाए जाने पर कार्रवाई संपादित करने वाले एवं विकास कार्यों को गति प्रदान करने वाले अधिकारी जब कार्यालय पर ना हो अथवा चौथे स्तंभ से चर्चा के लिए उपलब्ध ना हो पाए तब स्वत: ही नगर कैसे अधिकारी के हाथ में है अंदाजा लगाया जा सकता है। सीएमओ के उपलब्ध ना होने पर इसके विपरीत जब उच्च अधिकारियों से इन विकास कार्यों पर सवाल किए जाते हैं तब उनके द्वारा मामले को दिखवा लेते कहकर इतिश्री कर दिया जाता है। बहरहाल कहा जाए कि नगर अभी रामभरोसे पड़ा हुआ है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

जनप्रतिनिधि से भी बड़े अधिकारी –
सीएमओ चौहान की कार्यप्रणाली इन दिनों खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। कहा जा रहा है कि सीएमओ चौहान तो जनप्रतिनिधियों से भी बड़े हैं। जहां एक और पूर्व मंत्री व क्षेत्रीय विधायक सज्जन सिंह वर्मा क्षेत्र की जनता को हर समय दूरभाष पर उपलब्ध हो जाते हैं। वही एक परिषद के सीएमओ अपना फोन स्विच ऑफ रखते हैं। जबकि आम जनता व पात्र हितग्राहियों के हित में योजना का क्रियान्वयन हो इस हेतु एक निष्ठावान अधिकारी को क्षेत्रीय जनता व हितग्राहियों के साथ सतत संपर्क में रहना चाहिए।
अधूरा पड़ा बस स्टैंड निर्माण –

वर्ष 2016 में सिंहस्थ के समय 1 करोड़ 98 लाख रुपए की राशि राज्य शासन द्वारा नवीन बस स्टैंड निर्माण के लिए स्वीकृत की गई थी। जिसके बाद नवीन बस स्टैंड का निर्माण कार्य तो प्रारंभ हो गया लेकिन राशि के अभाव में एक बार काम फिर रुक गया। तदोपरांत हब एण्ड स्कूप मॉडल के तहत नवीन बस स्टैंड को विकसित करने के लिए फिर से राशि के आवंटन की मांग की गई थी। जानकारी के अनुसार प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने बस स्टैंड निर्माण कार्य को पूर्ण करने के लिए 50 लाख रू स्वीकृत किए थे। लेकिन टेंडर नहीं होने से निर्माण कार्य आज दिनांक तक अधुरा पडा है। साथ ही वर्तमान में यहां चारों तरफ गंदगी और कीचड़ पसरा पड़ा है।
नप का नवीन भवन निर्माण अधूरा –

लगभग 70 लाख रुपए की लागत से नगर परिषद कार्यालय भवन निर्माण किया जाना था। तत्कालीन समय में इस निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद मौके पर आए जांचकर्ता अधिकारियों को कई अनियमितताएं मिली थी। जिसके बाद से काम आज दिनांक तक बंद पड़ा हुआ है।
पेयजल योजना से सड़कें बदहाल –

करोड़ों की लागत की मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के अंतर्गत 26 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन, 4 लाख लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी, एक विशेष क्षमता वाला ट्रांसफार्मर आदि संसाधन शामिल है। योजना अंतर्गत टंकी, इंटकवेल, फिल्टर प्लांट, पाइपलाइन टेस्टिंग नल कनेक्शन आदि कार्य अभी अधूरे पड़े हुए हैं। वहीं 17 किलोमीटर पाइपलाइन अभी तक बिछ पाई है शेष बची है। वहीं कई वार्डों में पाइपलाइन बिछाने हेतु वार्डों में खोदी गई सड़कों की मरम्मत ठीक से नहीं की गई। कई वार्डों में सड़कें उखड़ी पड़ी है। अब वर्षा काल में बदहाल पड़ी इन सड़कों से आवाजाही करना तक आम लोगों के लिए मुश्किल हो चला है।