छत्रपति शिवाजी की सेना कैसे लड़ती थी युद्ध.., जानकर रह जाएंगे हैरान

पानीपत शौर्य यात्रा में अतीत के युद्धों का आकर्षक प्रदर्शन किया गया
देवास। मंडी धर्मशाला में पानीपत शौर्य यात्रा का विश्राम था वहां पर उन्होंने युद्ध कला के अतीत में लड़े गए युद्ध का प्रदर्शन कर उपस्थित लोगों की जमकर सराहना बटोरी।

Rai Singh Sendhav

उस दौरान छापामार युद्ध का बोलबाला था जिसमें वीटा नामक हथियार बहुत उपयोग में आता था। जब हाथी पर बैठकर वार किया जाता था तो वीटा जो भले जैसा होता था और इसमें 30 फीट की डोरी बांधी जाती थी। डोरी का एक भाग हाथी पर बैठे व्यक्ति की कलाई में बंधा रहता था और वह साढ़े 38 फीट दूर तक के लोगों को मारकर डोरी को वापस खींचकर वीटा को अपने कब्जे में कर लेते थे। यह शिवाजी के युद्ध कला का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता था। समय का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता था इसके अलावा छोटी भंडारी यह हथियार है, जिसे हम गोफन के रूप में मानते हैं। लेकिन यह लोहे की होती थी और इसमें बम फंसा कर फेंका जाता था। शौर्ययात्रा कोल्हापुर से निकली है और देवास में मंडी धर्मशाला में क्षेत्रीय विधायक गायत्री राजे पवार और विक्रम सिंह पवार की मौजूदगी में शौर्य प्रदर्शन किया गया गैर राजनीतिक दल साथियों के साथ पानीपत के महत्वपूर्ण स्थानों पर यह यात्रा अपना पड़ाव डाल रही है।
कोल्हापुर से पानीपत को निकली शौर्य यात्रा का पड़ाव देवास में था। यह दल पानीपत पहुंचेगा। यात्रा में प्रत्येक उस स्थान पर पड़ाव रहेगा जहां पानीपत जाते समय मराठा सेना का पड़ाव था। इस यात्रा के देवास पड़ाव में यात्रा के साथ चल रहे कोल्हापुर के आनंदराव पवार व्यायामशाला के पंडितराव पवार तथा साथियों ने शिवकालीन युद्धकला का रोमांचकारी प्रदर्शन प्रस्तुत किया। शिवकालीन मर्दाना खेलों के प्रदर्शन में विभिन्न शस्त्रों के जानकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। कलाओं में लाठी प्रदर्शन, गोलचक्र का प्रदर्शन, ढाल तलवार का प्रदर्शन, विटा नामक मराठों के विशेष शस्त्र का प्र्रदर्शन, दांडपट्टा का प्रदर्शन, तलवार के अचूक वारों का आश्चर्यजनक प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया। मंडी व्यापारी धर्मशाला के प्रांगण में संपन्न हुए। इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि श्रीमंत गायत्री राजे पवार विधायक देवास तथा विक्रमसिंह पवार मौजूद थे।

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