ऑनलाइन गेमिंग के जरिए करोड़ों की धोखाधड़ी का मामला उजागर…

मुंबई निवासी मुख्य सरगना चढ़ा पुलिस के हत्थे…

बागली क्षेत्र की भोली भाली जनता को बना रहे थे निशाना…

पत्रकार वार्ता में देवास एसपी चंद्रशेखर सोलंकी ने किया खुलासा…

कोच्चि से जप्त किए कंप्यूटर और हार्ड डिस्क में मिला डाटा…

चार आरोपी अभी भी फरार जिनकी तलाश कर रही देवास पुलिस…

₹20 करोड़ महीने का था टर्नओवर…

शातिर आरोपी गेम के जरिए लोगों को देते थे प्रलोभन और करते थे ठगी…

आरोपियों का सर्वर सेंटर विदेश में होने की लगी जानकारी…

देवास। ऑनलाइन गेमिंग के जरिये करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला देवास पुलिस ने उजागर किया है। इस धोखधड़ी के मुख्य सरगना मुम्बई निवासी सिद्धार्थ चौरसिया को पुलिस ने थाणे मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है। ये लोग इतने शातिर है कि यह फर्जी कंपनी मुम्बई से चलाते थे, सॉफ्टवेयर के कामकाज का मुख्यालय कोच्चि में था और इन्होंने सर्वर सेंटर कहीं विदेश में बना रखा है। प्रारंभिक जांच में करीब 240 करोड़ रुपये का सालाना टर्न ओवर होने की जानकारी पुलिस को लगी है। अभी इस मामले में 4 और आरोपी फरार है, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है। यह गिरोह मध्यप्रदेश ही नहीं देश के कई राज्य हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल में भी पैर पसर रखे थे।

Rai Singh Sendhav

देवास पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर सोलंकी ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि शिवाजी नगर इंदौर निवासी धर्मेंद्र पिता मुन्नालाल पटेल को इंदौर निवासी संजय शर्मा नामक व्यक्ति मिला जिसने उसे ऑनलाइन गेमिंग के जरिए अच्छा पैसा कमाने का प्रलोभन दिया।

विश्वास में लेकर कहा कि इंफोकॉम डॉट काम कंपनी मुम्बई के सिद्धार्थ चौरसिया और अविनाश चौरसिया की है। जहाँ कोच्चि के इंजीनियर अरुण सोमन और लेस्ली थॉमसन काम करते है। जिनकी मदद से लाखों रुपये गेम खेलकर कमाए जा सकते है।

धर्मेंद्र उसके झांसे में आ गया। फिर धर्मेंद्र के मोबाइल पर गेम एप्पलीकेशन डाऊनलोड कर उसे आई डी और पासवर्ड दे दिए गए। जब धर्मेंद्र ने गेम खेलना शुरू किया तो हारता ही गया। जब संजय से उसने संपर्क किया तो संजय ने और गेम खेलने तथा पैसे रिकवर कराने की बात की। इस तरह धर्मेंद्र लाखों रुपये हर चुका था।

उसे जब लगा की वह धोखाधड़ी का शिकार हो गया तो उसने बागली पुलिस को अपनी व्यथा सुनाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई। sp सोलंकी के मार्गदर्शन में एडिशनल SP नीरज चौरसिया के नेतृत्व में गठित की गई टीम ने मामले की पड़ताल की तो जानकारियां चौकाने वाली सामने आई।

पुलिस टीम मुम्बई और कोच्चि भेजी गई। कोच्चि स्थित आफिस से एक कंप्यूटर सिस्टम जब्त किया गया, जबकि वहां के आरोपी फरार हो गए। वहीं मुम्बई से मुख्य सरगना सिद्धार्थ पुलिस के हत्थे चढ़ गया।

जब्त कम्प्यूटर और हार्डडिस्क से पुलिस को महत्वपूर्ण डाटा हाथ लगा, जिससे खुलासा हुआ की उक्त कंपनी का करीब 240 करोड़ रुपये का सालाना का कारोबार धोखाधड़ी के जरिये है।

यह बात भी सामने आई कि आरोपी मनी लांड्रिंग और ड्रग्स के कारोबार में भी संलिप्त हैं। आरोपी से पूछताछ और दस्तावेजों के आधार पर आगामी कार्रवाई के लिए आरोपी सिद्धार्थ को रिमांड पर लिया गया है।

पुलिस की इस कार्रवाई में टीआई दिनेश सिंह चौहान, अमित सोनी, सब इंस्पेक्टर प्रदीप राय, पूजा सोलंकी, अनिल वाकरे, प्रधान आरक्षक देवेंद्र, आरक्षक धर्मराज यशवंत, अर्पित, महेश, रमन, जितेंद्र, आशीष, रोहित, विजयपुरे, शिवप्रताप व सचिन की सराहनीय भूमिका रही, जिनके लिए नकद इनाम की घोषणा भी की गई है।

संपादक

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