संतोष गोस्वामी
भौंरासा। भाजपा में इस समय संगठन चुनाव की सुगबुगाहट जोरों पर है। प्रदेश भाजपा द्वारा 4 व 5 नवंबर को संभावित चुनाव को लेकर अपने अपने आकाओं के दम पर कुछ छुट भैया भी मंडल अध्यक्ष का ख्वाब संजोए हैं… और पद हथियाने के प्रयास जोरों पर हैं। विधानसभा चुनाव में मिली हार को भाजपा अब तक भूल नहीं पाई है, वहीं नए अध्यक्ष पर इस बार नगर परिषद चुनाव जीतने की बड़ी जिम्मेदारी भी होगी।

सत्ता जाने के बाद कई अवसरवादी गायब हो गए हैं। सत्ता में नहीं होने से रबड़ स्टांप नेता संगठन नहीं चला सकते हैं। भाजपा ने इस बार 40 साल की उम्र तय कर कहीं स्वयंभू संभावित नेताओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
इससे भाजपा में एक पीढ़ी को सीधे तौर पर घर बैठा कर उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया है। जिस की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को आगामी नगर परिषद चुनाव में भुगतना पड़ सकता है, वहीं युवा अध्यक्ष अनुभव की कमी के चलते सभी को साथ लेकर चले इसकी संभावना कम है।
40 वर्ष से कम उम्र बंधन लागू होने में कुछ नाम को छोड़कर ऐसे नाम उभर कर आए हैं, जो कभी जनता का विश्वास अर्जित नहीं कर सके। उभर कर आए नामों में पूर्व पार्षद अनिल चावड़ा, संजय यादव, जनपद उध्यक्ष राजेंद्र मोडरीया, एडवोकेट विमल नागर, यशपाल बघेल, दौड़ में है, वही दावेदारों में कुछ के विगत दशक के चुनाव में कांग्रेस के साथ होने की जन चर्चा है।
पिछली बार सामान्य वर्ग से ठाकुर समाज से अध्यक्ष बनाया गया था। लगातार सोनकच्छ मंडल अध्यक्ष पद पर सामान्य र्वग का कब्जा रहा है, वहीं सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार उम्र के बंधन को हटाकर किसी अनुभवी को भी पार्टी मौका दे सकती है। फिर भी नए अध्यक्ष के लिए 15 सालों से सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा के कमजोर नेतृत्व के कारण पार्टी कमजोर हुई है। नये अध्यक्ष के सामने पार्टी में जान डालना चुनौती से कम नहीं होगा।