आये बेलगाड़ी से ओर स्वयं हुए विराजमान
संतोष गोस्वामी
भौंरासा। बाबा भँवरनाथ की नगरी के नाम से विख्यात भौंरासा नगर के बिचो-बिच श्री गणेश मोहल्ला क्षैत्र में स्थित गणेशधाम मंदिर में स्वयं भू स्थापित प्रतिमा स्वतः संसार में पहली गणेश प्रतिमा होगी जो मंदिर मैं किसी के द्वारा स्थापित नही की गई अपितू स्वयं ही भू स्थापित हो गई यहा पर दूर-दूर से श्रृद्वालु दर्शन करने आते हे तथा श्री गणेश जी सभी भक्तो की मनोकामनाऐ पूरी करते हे जब किसी के घर विवाह समारोह हो य शुभ कार्य की शुरूआत होती हे तो पहले पाती श्री सिध्द् विनायक गणेश के यहा रखना कोई नही भूलाता ओर श्री सिध्द विनायक गणेश भी हर एक शुभ काम को सवारने के लिए आर्शिवाद देना नही भूलते श्री गणेश जी की मूर्ती प्रतिमा मूर्तीकला की बेजोड़ कारीगिरि तो हे ही साथ में चमत्कारी भी हे यहा दर्शन मात्र से श्रृध्दालूओ को अत्मिक शांति मिलती हे श्रृध्दलू बताते हे कि यहा माथा टेकने से मन की मनोकामनए पूरी होती हे वे इसके प्रमाण में कई किस्से सुनते हे मूर्ती के बारे में मंदिर के पुजारी महंत सदाशिव गोस्वामी एंव महंत संतोष गीरी गोस्वामी ने बताया की गणेश जी की इस अदभुत अति प्राचीन चेतन्य प्रतिमा को कुछ लोग वर्षो पहले जयपुर से लेकर आए थे जो बेलगाड़ी से बागली जा रहे थे रात्री विश्राम के लिए भौंरासा नगर में महंत नाथूगिरि गोस्वामी के मठ पर रूक गये गणेश प्रतिमा बेलगाड़ी में रखी थी किन्तु जब सुबह उठकर देखा तो प्रतिमा बेलगाड़ी से गायब होकर अपने मठ में विराजमान हो चुकि थी तब बागली के लोगो ने प्रतिमा को बागली ले जाने के लिए उठाने का प्रयास किया तो प्रतिमा उठना तो दूर वहा से हिली तक नही अखिरकार थक हार कर वे लोग खाली हाथ बागली लोट गये तथा बाद में महंत तथा भौंरासा वासियो ने उक्त प्रतिमा की पूरी विधी विधान से स्थापना की तब से आज तक हजारो श्रृध्दालुओ की मनोकामनाए पूरी हुई। इसी प्रकार गणेश स्थापना के अवसर पर नगर परसाई संजय जोशी व नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि राजेन्द्र यादव ओर अजब सिंह नागर बालकिशन गर्ग द्वारा महा आरती कर सवा क्विटल लड्डुओ का भोग लगाया जायेगा व प्रतिमा हेतू शिर्डी महाराष्ट्र से विषेश गुलाब की पुष्पमाला भक्त रंजन चैधरी द्वारा मंगवाई गई हे।

महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है यहाॅ की मन्नत से
यहाॅ पर जिन महिलाओं को बच्चे नही होते है वह अगर यहाॅं पर आकर सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते है उल्टा स्वास्तीक बनाकर मन्नत मांगते है उनके यहाॅं साल भर के अंदर महिलाओं की सुनी गोद भर जाती है। ऐसे एक दो नही कीई उदाहरण है जिनको बारह बारह साल तक कोई संतान नही थी उन्होने गणेशजी के यहाॅं उल्टा स्वास्तीक व मन्नत मांग कर उनके यहाॅं गणेश चतुर्थी के दिन ही संतान की प्राप्ती हुई है । संतान प्राप्ती के बाद संतान का तुलादान किया जाता है व अपनी मन्नत पुरी की जाती है।
चल रहा है मंदिर का निर्माण कार्य
स्वयंभू श्री गणेश का मंदिर लकड़ी से बना हुआ था, इस कारण से समय के साथ साथ जर्जर हो रहा था, कुछ वर्ष पूर्व लकड़ी से निर्मित मंदिर जर्जर होकर गिरने की स्थिति में था वर्ष 2004 में नगर पुरोहित संजय जोशी व बालकिशन गर्ग ने स्वप्रेरणा से स्वयंभू के जीर्ण शीर्ण मंदिर के पुननिर्माण का बीड़ा उठाया, इस पुनीत कार्य मैं नगरवासियों ने तन-मन-धन से सहयोग किया । जो भी दानदाता मंदिर निर्माण में दान देना चाहे वह ओमप्रकाशजी सारड़ा के पास अपनी दान राशी दे सकते है। मंदिर में अभी शिखर निर्माण का कार्य अगले साल ही पुणँ हुआहै अभी भी बहुत काम बाकी है जिसके लिये धन राशी की आवश्यकता है।जो भी दान देना दे सकते है
इनका कहना है——
नगर परसाई संजय जोशी- का कहना हे की नगर के बीचो बीच यह चमत्कारी श्री गणेश प्रतिमा के दर्शन पश्चात अपने सारे काम शुरू करता हू जिसमें श्री गणेश भगवान के अर्शिवाद से सफलता प्राप्त होती हे।
व्यपारी बालकृष्ण गर्ग—- का कहना हे की हमारे नगर की इस चेतन्य एंव चमत्कारी श्री गणेश प्रतिमा के दर्शन मात्र से सारे काम शुभ फलदाई होते हे आज में जो भी हूॅ श्री गणेश भगवान के आर्शिवाद से हूॅ।
ओमप्रकाशजी सारड़ा कपड़ा व्यापारी —- मेरी सुबह की शुरूवात श्री गणेशजी के दर्शन से ही होती है। और शाम को भी भोजन भगवान श्री गणेशजी के दर्शन करके ही गृहण करता हु । में सुबह जब भी कही अन्य स्थान पर जाने के लिए निकलता हूॅ तो सबसे पहले श्री गणेश भगवान को नमन कर कर निकलता हूॅ जिससे मेरे सारे काम बन जाते हे।
महंत संतोषगिरि गोस्वामी—– कहते हे की हमारे परिवार की पिछली 5 पीढी भगवान श्री गणेश की सेवा एंव पूजा अर्चना कर रही हे जिससे भगवान गणेश के आर्शिवाद से आज भी सारे काम सफलता पूर्वक होते आ रहे हे एंव मन को यहां पर अती शांति प्राप्त होती हे।