बागली, (सोमेश उपाध्याय)। आदिवासी लोक संस्कृति के प्रमुख पर्व भगोरिया रंग का आनंद रविवार को बागली के साप्ताहिक हाट में देखने को मिला। जहां पर भगोरिया(भोंगर्या) का रंग जमकर परवान चढ़ा। पर्र्व की मस्ती को बेताब हो रहे हजारों समाजजनों ने अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर ऐसा समां बांधा की देखने वाले भी मतवाले हो उठे। भगोरिया में आदिवासियों ने पर्व की परंपराओं का निर्वहन हसंते-गाते-नाचते हुए किया। परम्परागतरूप से गढ़ी चौक में दोपहर बाद से मदमस्त होकर युवाओं ने बासुरी की मधुर तान का ऐसा शमा बांधा की सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो गए।

रियासतकालीन परम्परानुसार सर्वप्रथम राजमहल(गढ़ी) में राजा छतरसिंह जी एव.युवराज कु.राघवेन्द्र सिंह ने मांदल का पूजन कर सभी का अभिनन्दन किया।ततपश्चात सभी मांदल गढ़ी चौक में आए एव.समाज जन अपनी मस्ती में झूमते रहे! यह क्रम प्रारंभ हुआ तो शाम 5 बजे निर्बाध तरीके से चलता रहा, जिसे सेकड़ो लोग निहारते रहे।वही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बंधित सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने समाज प्रमुखों का साफा बांधकर तो अन्य युवकों को केशरिया रूपट्टा उड़ा कर स्वागत किया।इस दौरान भारत माता की जय के नारे गूँजते रहे!
पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचे युवक युवतियां –
भौंगर्या हाट में गांवों से पारंपरिक वेशभूषा में युवतियां और रंगबिरंगी वस्त्रों में युवक पहुंचे। हाट में खरीदी कर मांदल की थाप पर युवक-युवतियां जमकर थिरके। कुल्फी, गुड़ की सेव, गुड़ की जलेबी का भी लुफ्त लिया। आदिवासी युवतियां दुकानों से शृंगार सामग्री व पान के साथ कोल्ड्रिंक्स लेते दिखाई दिए!