बड़वानी (नरेंद्र तिवारी)। जिले के सेंधवा में प्रशासन ने सिनेमा चौराहे पर स्थित शहर की एकमात्र बेहद पुरानी ओंकारलाल प्रेमलाल अग्रवाल धर्मशाला पर बुलडोजर चला दिया। उक्त धर्मशाला 1980 के बाद से बन्द पड़ी थी। बेहद जीर्णशीर्ण अवस्था में थी और नगरपालिका के अनुसार लीज अवधि भी समाप्त हो गयी थी। धर्मशाला के बाहर बनी दुकानों पर अवैध कब्जे हो गए थै। इन दुकानों का व्यवसायिक उपयोग भी किया जा रहा था।
पुलिस प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार शहर के नामी बदमाशो का इन दुकानों पर कब्जा था। पुलिस ने बदमाशो का नाम और उनके कब्जे से खाली कराई भूमि का विवरण भी दिया है। धर्मशाला की उक्त भूमि करोड़ो रु की बताई जा रहीं है। उक्त कार्यवाही के दौरान एसडीएम तपस्या परिहार एसडीओपी मनोहर सिंह बारिया, तहसीलदार सखाराम यादव ,सीएमओ कैलाश वैष्णव सहित नगरपालिका एवं पुलिस अमला मौजूद था। प्रशासन ने इस दौरान पुरानी सब्जी मंडी स्थित एक हेयर सलून की गुमटी को भी बुलडोजर से तोड़ दिया।
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धर्मशाला एक समय थी गुलजार।


शहर की ओंकारलाल प्रेमलाल अग्रवाल धर्मशाला का निर्माण 1920 के लगभग हुआ था। यह धर्मशाला एबी रोड पर यात्रियों के विश्राम का ठिकाना होकर सामाजिक आयोजनो का एकमात्र स्थान भी थी। जब शहर में यात्रियों को रुकने के लिए लाज, विवाह के लिए मैरिज गार्डन नहीं थै। उस समय यह धर्मशाला ही शहर में एकमात्र स्थान हुआ करती थी। शहर के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता पीरचंद मित्तल के अनुसार 1920 में ओझर निवासी ओंकार लाल प्रेमलाल अग्रवाल द्वारा सेंधवा शहर में यात्रियों के विश्राम एव सामाजिक कार्यो के प्रयोजनों को पूर्ण करने के लिए एक धर्मशाला का निर्माण कराया इस धर्मशाला में वैवाहिक सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी सम्पन्न होते थे। अग्रवाल समाज के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल के अनुसार 1980 तक उक्त धर्मशाला में यात्रियों का विश्राम भोजन और विवाह आदि का आयोजन होता था। समय के साथ इसका संचालन कमजोर होता चला गया धर्मशाला जीर्णशीर्ण होती चली गयी और संचालन भी कमजोर होता चला गया।
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\”नपा द्वारा निर्मित किया जाए मैरिज हाल।\”
अब जबकि पुरानी धर्मशाला की लगभग सवा एकड़ जमीन शहर मध्य खाली हो चुकी है। नगरपालिका परिषद को चाहिए कि उक्त स्थान पर मैरिज हाल का निर्माण करें जिसमे आम मध्यमवर्गीय एव गरीब परिवार अपने विवाह एवं अन्य समारोह का आयोजन कर सकें इस मैरिज हाल से नगरपालिका की नियमित आय भी होती रहेगी और शहरवासियों को सामूहिक आयोजन का एक व्यवस्थित स्थान भी उपलब्ध हो सकेगा।
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चित्र-बरसो पुरानी धर्मशाला टूटने के पहले।
चित्र-धर्मशाला पर चलता प्रशासन का बुलडोजर