बड़वानी (नरेंद्र तिवारी)। अंचल में 22 मार्च से भोंगर्या हाट भरना शुरू हो जाएंगे। जिला प्रशासन ने 6 मार्च को भोंगर्या हाट पर प्रतिबंध लगाने के अपने निर्णय को 7 मार्च के आदेश से निरस्त कर दिया। अब प्रशासन की ओर से इन बाजारों पर कोई रोक नहीं है। भोंगर्या हाट को कोरोना के मद्देनजर आदिवासी संगठन बन्द करने की मांग लगातार कर रहे है ऐसे में जिला प्रशासन का अड़ियल रवैय्या समझ से परे दिखाई दे रहा है।
ऐसा कुछ तो विरोधाभास है कि आदिवासी संगठन की उचित मांग को बडवानी जिला प्रशासन अनसुना करना चाह रहा है। आदिवासी अंचल में भोंगर्या बाजारों को यह संगठन कोरोना के प्रभाव के कारण प्रतिबन्ध लगाने की मांग कर रहे है। इस हेतु इन संगठनों ने जिला मुख्यालय सहित तहसील मुख्यालयों पर भी रैली निकालकर ज्ञापन सौपा ओर न्यायालय की शरण भी ली है।आदिवासी संगठनों का कहना है कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण भोंगर्या बाजारों से कोरोना तेजी से फैल सकता है। इन भोंगर्या बाजारों में महाराष्ट्र से भी लोग शामिल होते है। इन संगठनों ने बुधवार को ग्राम धनोरा में पटेल पुजारा एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम गांव से प्रचारित कराया कि भोंगर्या बाजार नहीं लगेगा।
इसे प्रशासन का अड़ियल रवैय्या ही कहा जाएगा कि कोरोना की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए प्रदेश के गृह मंत्रालय द्वारा इंदौर भोपाल जैसे शहरों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। देश प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बढ़ते कोरोना मामलों से चिंतित है। ऐसे में भी जिला प्रशासन आदिवासी संगठनों की उचित मांग की अनदेखी कर अपने अड़ियल रुख का परिचित दे रहा है ।जिला प्रशासन की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह कोरोनाकाल में भी भोंगर्या बाजारों को जो कोरोना फैलने का कारण बन सकते है। प्रतिबन्ध नहीं लगाने पर अड़ा हुआ है। जिला प्रशासन को ऐसे समय गभीरता का परिचय देना चाहिए जब कोरोना के मरीज तेजी से बढ़ रहे है। प्रशासन को जन स्वास्थ्य की चिंता करनी चाहिए। भोंगर्या में उमड़ने वाले जनसमुदाय से कोरोना फैलने की संभावना बढ़ जाएगी।

चित्र-ग्राम धनोरा में पटेल पुजारा ने एकत्रित होकर भोंगर्या बाजार नही लगाने का प्रचार किया।