(कॉलम विशेष) राजनीति के गलियारे से…
दिलीप मिश्रा
पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा के खास… रमेश व्यास.. देवास में कांग्रेस के जिला प्रवक्ता है… अचानक सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई शुरू हो गई… कहते हैं वे पीसीसी में सचिव बन गए… हाटपिपलिया विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं…. वहां के प्रभारी भी बन गए… हालांकि सोशल मीडिया पर नियुक्ति संबंधी कोई पत्र पोस्ट नहीं हुआ… किंतु एक ऐसी सूची जारी हुई… जिसमें जिले से कांग्रेस के पदाधिकारियों के नाम नंबर और उपचुनाव की जिम्मेदारी का उल्लेख है… निश्चित तौर पर सूची तो पीसीसी की ही नजर आती है… कांग्रेसी ही सोशल मीडिया पर जारी कर बधाई दे रहे हैं… तो सूची को अविश्वसनीय कैसे कह सकते हैं…? इस सूची में रमेश व्यास का प्रमोशन तो दिख रहा ही है… साथ ही देवास के एक और नेता है शौकत हुसैन… कहते हैं वह पीसीसी में महासचिव है…, लेकिन इस सूची की माने तो वह सचिव नजर आ रहे हैं… कहीं प्रमोशन तो कहीं डिमोशन… अब इसे क्या कहें? किसे सच माने? किसे नहीं? कुल मिलाकर भ्रम और संशय की स्थिति नजर आने लगी… कांग्रेसी गलियारों में चर्चा तो यह है कि पीसीसी में रमेश व्यास का नाम कईयों महीने से सचिव के रूप में दर्ज है… और यही स्थिति शौकत हुसैन की भी है… प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है… देवास जिले की हाटपिपलिया सीट भी इसमें शामिल है… इस चुनाव में राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर है… भाजपा जहां सत्ता पर काबिज रहने के लिए पूरा दम लगाएगी… तो कांग्रेस वापसी के लिए… ऐसे में पीसीसी ने जिले में मनोनीत किए गए पदाधिकारियों के पते और मोबाइल नंबर मांगे हैं… जिसके चलते बाहर आई इस सूची ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया… एक नेता जी बधाई लेते… तो दूसरे खिसियाये नजर आते हैं… राजनीति में होता भी यही है… सियासत की बिछात पर कई मोहरे ऐसे भी होते हैं… जिन्हें नहीं पता होता कि कब वे सीधे आते हाथी के सामने पड़ जाएंगे… या तिरछे चलते ऊंट के… किस ढाई घर से कौन घोड़ा जंप मार दे… लेकिन इसका उलट भी उतना ही सच है… कि कब शह देने का चांस मिल जाए… शह और मात के खेल में कब वजीर चटक जाए… कहा नहीं जा सकता… खैर!
बात मुद्दे की तो यह है कि पीसीसी की सूची में अगर रमेश व्यास महीनों से सचिव के रूप में दर्ज है… तो ऐसा क्या हुआ ? जो उन्हें ना नियुक्ति पत्र मिला… और ना पता चला… 15 महीने कांग्रेस की सरकार रह गई… प्रदेश सचिव जैसी बड़ी जिम्मेदारी मिली किंतु गुमनामी में खो गई… पता भी चला तो तब जब सरकार गिर गई… बड़ा सवाल तो यह कि आखिर गफलत कहां हो गई… उनकी नियुक्ति की चिट्ठी कहां अटक गई। बकौल रमेश व्यास हाटपिपलिया विधानसभा का उपचुनाव में प्रभार मिला है… तो जारी सूची में उनके नाम के आगे प्रदेश सचिव लिखा है… इसीलिए लोग बधाई दे रहे हैं… और हम बधाई ले रहे हैं… नियुक्ति की चिट्ठी तो अभी भी नहीं मिली है… पता नहीं कहां अटकी पड़ी है…।
अब बात चली है तो बात शौकत हुसैन की भी कर लेते हैं… जो अरुण यादव को फॉलो करते हैं… उनकी नियुक्ति की बात उन्हीं से कर लेते हैं… बकौल शौकत हुसैन 10/2018 में सचिव बनाया गया था… 11/2018 में प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर का लेटर आया था… जिसमें उन्हें पीसीसी का प्रदेश महासचिव बनाया था… सोशल मीडिया पर जारी सूची में जरूर कुछ गड़बड़ है… मैं तो महासचिव था और हूं… उन्होंने तो यही बताया है… अपने महासचिव होने का चंद्रप्रभाष शेखर द्वारा जारी लेटर भी दिखाया है…।
