ऐलान: \”सपाक्स\” बनी राजनीतिक पार्टी
सभी 230 सीटों पर उतारेंगे प्रत्याशी
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजनीति में सियासी हलचल तेज हो गई है। साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस तो है ही, इस बार के चुनाव में सपाक्स पार्टी भी मैदान में उतरेगी। इसका विधिवत ऐलान आज राजधानी में कर दिया गया। सपाक्स अब राजनीतिक पार्टी बन गई है। पूर्व आईएएस हीरालाल त्रिवेदी मध्य प्रदेश के चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे। उन्हें अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा सपाक्स पार्टी की कार्यकारिणी भी बनकर तैयार है। सपाक्स पार्टी ने मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। राजधानी में पत्रकारों से चर्चा में पार्टी अध्यक्ष श्री त्रिवेदी ने कहा कि जल्द ही प्रदेश की विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जाएगी।

आपको बता दें 2 दिन पहले ही प्रमोशन में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ राजधानी भोपाल में सपाक्स ने बड़ा आंदोलन किया था। उसी क्रांति रैली में ऐलान कर दिया गया था कि 2 अक्टूबर को सपाक्स राजनीतिक पार्टी बनाई जाएगी। अब सियासी अखाड़े में सपाक्स ने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को चुनौती दे दी है। पार्टी में 4 उपाध्यक्ष की भी नियुक्ति की गई है। इंजीनियर पी एस परिहार को संयोजक और सुरेश तिवारी को संगठन महासचिव बनाया गया है।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए पार्टी अध्यक्ष श्री त्रिवेदी ने कहा कि सपाक्स समाज आरक्षण और पिछड़ें का विरोधी नहीं है। जो पिछड़े हैं उन्हें आगे लाने के लिए आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन यह जाति या धर्म के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए। जिन्हें एक बार आरक्षण मिल गया है, उन्हें फिर से नहीं मिलना चाहिए। सरकार से हम 2 साल से मांग कर रहे हैं। अब राजनीतिक दल के रूप में ही हम इस व्यवस्था को सुधारेंगे। सपाक्स समाज लोकसभा चुनाव भी लड़ेगा।
अभी अटका है पंजीयन का मामला
श्री त्रिवेदी ने कहा कि राजनीतिक दल के पंजीयन का मामला चुनाव आयोग में लंबित है। यदि चुनाव से पहले पंजीयन नहीं होता है फिर भी सपाक्स पार्टी चुनाव लड़ेगी। सपाक्स का चुनाव लड़ना भाजपा- कांग्रेस दोनों दलों को झटका माना जा रहा है।
बिगाड़ सकती है राजनीतिक समीकरण
सपाक्स को करणी सेना, ब्राह्मण संघ समेत कई और संगठनों का समर्थन प्राप्त है। उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि सपाक्स इस विधानसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरण बिगाड़ सकती है। सपाक्स की सियासत मजबूत पार्टियों के लिए आखिर कितनी मुश्किल पैदा करेगी ये आने वाला वक्त ही बताएगा।