तौल में हेरा फेरी के चलते निपटे प्रबंधक

तोल में अधिक मात्रा क्रय करने का सामने आया था मामला…
24 मई को पंचनामा 22 दिन बाद 5 जून को निलंबन
सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। शुक्रवार को खरीदी केंद्र पर अव्यवस्थाओं से परेशान किसानों द्वारा स्टेट हाईवे पर आधे घंटे तक  रास्ता रोककर धरना दिया गया था। इसी दौरान मंडी कार्यालय पर उपस्थित एसडीएम अंकिता जैन के सम्मुख कई किसानों द्वारा एक सुर में विपणन सेवा सहकारी संस्था के उपाध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा था कि बगैर नंबर के ही इनके द्वारा 20 ट्रालियो का तोल करा दिया गया। जिसके बाद इधर एसडीएम द्वारा संस्था प्रबंधक के निलंबन की पुष्टि की गई थी।

Rai Singh Sendhav

तोल में अधिक मात्रा क्रय करने पर निलंबन –
कार्यालय उपायुक्त सहकारिता जिला देवास से प्रेषित आदेश में उल्लेख है कि अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सोनकच्छ के पत्र क्रमांक 1195/आर-1/2020 दिनांक 4 जून से अवगत कराया गया है कि उक्त विपणन संस्था के प्रबंधक द्वारा उपार्जन नीति के विरुद्ध कृषकों से की जा रही तोल में अधिक मात्रा क्रय की जा रही है। अतः संस्था के अध्यक्ष को आदेशित किया जाता है कि संस्था के प्रबंधक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर विभागीय जांच संस्थित करें।

24 मई को पंचनामा 5 जून को निलंबन – 
विश्वसनीय सूत्रों की माने तो बीते दिनों में संस्था द्वारा जय किसान वेयर हाउस पर गेहूं खरीदी की जा रही थी। इस दौरान थैली के भार के अतिरिक्त 150 ग्राम से 200 ग्राम उपज ऊपर तोली जा रही थी। इस दौरान निम्न गुणवत्ता के चलते अधिक उपज तोलने की बात संस्था कर्मचारियों द्वारा कही गई थी। जिसके बाद बीती 24 मई को ही मौके पर मौजूद एसडीएम के निर्देश पर कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी लक्ष्य पैट्रिक द्वारा पंचनामा बनाया गया था। जिसे लेकर मंडी प्रांगण में किसानों, तुलावटियों के साथ साथ अब हम्मालों में भी चर्चा बनी है कि 24 मई को पंचनामा बनाया गया था, उसके 11 दिनों बाद 5 जून को प्रबंधक के निलंबन के आदेश जारी हुए है।

11 दिन बाद हुई कार्रवाई, तो उठे सवाल
मामले में जब 24 मई को पंचनामा बनाया गया था तो आखिर निलंबन की कार्यवाही में इतना समय क्यों लगा, इस बात को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। चर्चा तो यह है कि गुरुवार और शुक्रवार की मध्यरात्रि में बिना नंबर के कई ट्रालियों का तोल कराने वाले नेता पर कोई कार्यवाही नहीं करते हुये प्रशासन द्वारा प्रबंधक का निलंबन कर मामले को ठंडा करने व आक्रोशित किसानों को शांत करने की कोशिश की गई है। यदि तौल में गड़बड़ी हो रही थी और उपज अधिक तोली जा रही थी तो किसानों के हित को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए थी ना की इतना समय दिया जाना था।

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