सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। नदियों में होने वाला प्रदूषण वर्तमान युग की सबसे बड़ी चुनौती है। बढते कल कारखानों से मानव जीवन शैली में आए परिवर्तनों का सीधा प्रभाव जल स्त्रोतों पर पड़ता है। प्रकृति प्रदत्त संसाधनों को आज हम बिना किसी चिंतन के उपभोग करने के साथ उसे प्रदूषित कर रहे है। भारत ही नहीं बल्कि विश्व में नदी जल का प्रदूषित होना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। हर और औद्योगिकरण व नगरीकरण में अंधाधुंध विस्तार के चलते कई प्रकार के जल प्रदूषण का विस्तार हो रहा है।
जहां देश के लॉकडाउन मोड पर होने से औद्योगिकरण के चलते निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों का विलय फिलहाल नदियों में नहीं होने से प्रदूषण की समस्या पर विराम लगा हुआ है। वहीं अब लोग अपने मवेशियों को नदियों में नहलाकर प्रकृति प्रदत्त संसाधनों को पुनः दूषित करने का कार्य कर रहे हैं।
स्थानीय कालीसिंध नदी के पाले के आस पास के लोग अपने पालतु पशुओं को नहलाकर नदी के पानी को गंदा कर रहे है।
वेसे ही अभी देश मे कोरोना के कारण लोग घरो मेंं है। वही सर्वज्ञ है कि नगर परिषद के पास पानी को फिल्टर करने की उच्चतम तकनीक का अभाव है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर ब्लीचिंग फिटकरी से पानी को शुद्ध कर नगर में सप्लाई किया जाता है। अब यदि समय रहते प्रशासन द्वारा नदी के पानी को गंदा होने से नही बचाया गया तो नगर की जनता के स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव पड सकता है।
इसके अतिरिक्त कालीसिंध नदी के पाले के निकट स्थित एक गहरे गड्ढे में गंजपुरा गांव का गंदा पानी जमा किया जाता है। गड्ढा भर जाने के बाद गंदा पानी कालीसिंध नदी में आ जाता है। जिससे नदी का जल लगातार प्रदूषित होता है। पिछले तीन-चार वर्षो से यह समस्या निरंतर बनी हुई है। प्रशासन अभी तक पंचायत के माध्यम से इस गंदे पानी की निकासी के लिए कोई पर्याप्त हल नहीं निकाल पाया है।
नदी का जल प्रदुषित न हो इसलिए नदी के पर एक चोकीदार की भी व्यवस्था की गई है । उसके बाद भी आसपास के लोग नदी मे बैखोफ अपने पशुओं को नहला रहे है। पानी को प्रदूषित करते हुए बेखौफ लोग जाल लगाकर मछलियां पकड़ रहे हैं।

आपके द्वारा मामले को संज्ञान में लाया गया है ऐसे लोगों पर अब तुरंत ही नियमानुसार उचित कार्यवाही की जाएगी।
के एन एस चौहान
सीएमओ नगर परिषद सोनकच्छ