अंततः 7 साल बाद निर्भया को मिला इंसाफ

तिहाड़ जेल में पवन जल्लाद ने चारों को लटकाया फांसी पर…

Rai Singh Sendhav

नई दिल्ली। निर्भया रेप व हत्याकांड के दोषियों को शुक्रवार की सुबह फाँसी की सज़ा दे दी गई। तिहाड़ जेल में पवन जल्लाद ने घटना के चारों दोषी विनय शर्मा, पवन गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय सिंह को फाँसी पर लटका दिया। इन्हें 16 दिसंबर 2012 की रात फ़ीजियोथेरैपी की छात्रा के साथ चलती बस में बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या  करने का दोषी पाया गया था। फाँसी दिए जाते समय जेल में डॉक्टर और जेल के आला अफ़सर मौजूद थे।
दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुबर 5.30 बजे ज़िला मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में चारों को फांसी दी गई।
गौरतलब है कि पांच मार्च को एक निचली अदालत ने मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया था। कानूनी भाषा में इसे ब्लैक वॉरंट (Black Warrant) या डेथ वॉरंट (Death Warrant) भी कहा जाता है। यह वह आदेश है जिसके बाद सजा ए मौत पाए किसी बंदी को फांसी के फंदे पर लटकाया जा सकता है।
निर्भया के दोषियों के लिए 20 मार्च का डेथ वॉरंट पहले ही जारी हो चुका था।

फांसी से ठीक तीन घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
निर्भया मामले के दोषियों के वकील एपी सिंह ने फांसी पर रोक वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद देर रात सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए रात के ढाई बजे का वक्त दिया। उसके बाद सुनवाई हुई। हालांकि कोई राहत नहीं मिली। आखिरकार सात साल बाद निर्भया को इंसाफ मिल गया। निर्भया के दोषियों के बचाव के सारे गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद बंद हो गए। शीर्ष अदालत ने दोषियों के वकील एपी सिंह की ओर से दायर की गई अंतिम मिनट की याचिका को खारिज कर दोषियों की फांसी पक्की कर दी थी।
चार में से एक दोषी पवन गुप्ता की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा खारिज की गई दया याचिका के खिलाफ वकील एपी सिंह ने आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले वह दिल्ली उच्च न्यायालय गए थे जहां उन्होंने निचली अदालत द्वारा जारी किए गए चौथे मृत्यु वारंट के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।

क्या था घटनाक्रम
याद दिला दें कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया से छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। इस जघन्य कांड के मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।
बस में अक्षय कुमार सिंह हेल्पर के रूप में काम करता था। अक्षय बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने का दोषी है। इसके अलावा जिम ट्रेनर विनय शर्मा, बस ड्राइवर मुकेश सिंह भी इस जघन्य कांड में शामिल थे। एक और दोषी पवन गुप्ता फल की दुकान लगाता था। एक दोषी जो नाबालिग था, उसे सुधार गृह में तीन साल रखने के बाद छोड़ दिया गया।

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