आधा दिन निकल जाता है पानी की जुगाड में
पानी की समस्या को लेकर गांव के लोग निकले सड़कों पर किया चक्काजाम
अनिल उपाध्याय
खातेगांव। इंदौर -बैतूल नेशनल हाईवे किनारे बसा 6000 हजार की आबादी वाला अजनास गांव अन्य गांव से किसी मायने में अलग नहीं यदि कुछ फर्क है, तो बस यही है कि इस गांव को विदेश मंत्री और विदिशा सांसद सुषमा स्वराज ने गोद लिया है।

देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा वर्ष 2014 में गोद लेकर इसे आदर्श ग्राम का दर्जा प्रदान कराया था। लेकिन दुर्भाग्य है कि इस आदर्श गांव के हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं!ग्राम मे सबसे बडी समस्या पानी की हे, जिसका आज तक स्थाई निराकरण नही हो पाया है। पेयजल संकट को लेकर कई बार ग्रामीणों ने जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया साथ ही शासन के नुमाइंदों को भी समय-समय पर जल संकट से निजात दिलाने के लिए कागजी कार्यवाही भी की, लेकिन लापरवाह बना पीएचई विभाग हमेशा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आया और जिसके चलते पेयजल का स्थाई निराकरण आज तक नहीं हो पाया ,गर्मी शुरू होते ही ग्राम में पेयजल के हालात और भी बिगड़ने लगे ,स्थिति यह है कि ग्रामीणों को पेयजल के लिए दूर-दूर तक भटकना पड़ रहा है! बुधवार को ग्राम अजनास के ग्रामीणों ने पेयजल समस्या से परेशान होकर चक्का जाम कर दिया।
मौके पर पहुंचे एस,डी,एम शोभाराम सोलंकी, तहसीलदार निधि चौकसे, नायव तहसीलदार अर्पित जैन, मेघा तिवारी ,एसडीओपी निर्भय सिंह अलावा ,टीआई सज्जन सिंह मुकाती, सहित आला प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे जिन्होंने पेयजल योजना के लिए कार्य योजना बनाने के लिए सार्थक पहल की
ग्रामीणों का मानना है कि आदर्श ग्राम बनने के बाद इस गांव के हालात और भी ज्यादा खराब हो गए ,यहां चारों ओर गंदगी का वातावरण है। नालियों का पानी सड़कों पर वह रहा है। मच्छरों से लोग बीमार हो रहे हैं! यात्री प्रतीक्षालय का नितांत अभाव बना हुआ है। स्कूल भवन आगनवाडी केंद्र अधूरा पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि आदर्श ग्राम अजनास के पानी को लेकर सरकार और जनप्रतिनिधि के सारे दावे खोखले साबित हो रहे। पीएचई विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते नल जल योजना महज छलावा साबित हो रही है। वहीं लाखों की लागत से निर्मित खाली टंकी ग्रामीण का मुंह चिढा रही है। ओर वे दूरदराज से पानी लाने को मजबूर हे।
उनकी आबादी के अनुपात से पेयजल संकट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है कई बस्ती में तो 15 दिनों से नल जल योजना की टंकी से पेयजल सप्लाई पुरी तरह से बंद पड़ा, जिसके चलते ग्रामीण जन गंभीरता जल संकट की समस्या से जूझ रहे हे! महिला पुरुषों बच्चों को सुवह ही पानी भरने के लिए निकलना पडता है वही मवेशियों को पानी पिलाने के लिए काफी दूर ले जाना पड़ता है ग्रामीणों द्वारा कई बार पीएचई विभाग के अधिकारी को अवगत कराएं इसके बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है ग्रामीण कई किलोमीटर दूर खेतों से पानी लाने को मजबूर है ट्रैक्टर बैलगाड़ी पर टंकी रखकर मोटर साइकिल साइकिल ड्रम बांध कर का पानी ला रहे हे! पेयजल संकट से जल्दी उन्हें का निजात नहीं मिली तो वे एक लंबे जन आंदोलन पर चले जाएंगे जिसकी जवाबदारी जिम्मेदार लोगों की होगी।
ट्यूबवेल पर कब्जा पानी से कर रहे हैं खेती
अजनास पहुंचे अधिकारियों ने जब पेयजल समस्या की वास्तविकता की जानकारी निकालना चाहिए तो पता चला कि जिस अधूरे पड़े स्कूल भवन के पास ट्यूब पर लगा है। उस पर अन्य व्यक्ति का कब्जा है। उस ट्यूबवेल के पानी का खेती करने में उपयोग किया जा रहा है। अधिकारियों का मानना था कि यह किसी के संरक्षण के बिना संभव नहीं है। जान बूझकर के कृतिम जल संकट की स्थिति पैदा की जा रही है। उन्होंने पीएचई विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को तलब किया और कहा कि उक्त ट्यूबवेल से पानी पहुंचाया जाए तथा अन्य कार्य में उपयोग पानी पर तत्काल रोक लगाई जाए।