शिवरात्रि पर होता है महायज्ञ व सांस्कृतिक मेले का आयोजन
बागली(सोमेश उपाध्याय)। क्षेत्र के प्रसिद्ध शिवालय जटाशंकर तीर्थ अपने दिव्य, अद्भुद,रहस्यमय स्वरुप के कारण प्राचीनकाल से ही विख्यात रहा है।मान्यतानुसार यह रामायणकालीन गिद्धराज जटायु की तपोस्थली है। यहां की प्रमुख विशेषता यह है कि यहां भगवान जटाशंकर का गौमुख से अखंड जलाभिषेक होता है।जटाशंकर महादेव पर हल्के नीले व लाल रंग की धारियां है, इसलिए इसे नीललोहित शिवलिंग भी कहा जाता है।साथ ही शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से ॐ का आकार भी अंकित है।

तीर्थ की पुनर्स्थापना खाकी सम्प्रदाय के तपोनिष्ठ ब्रह्मलीन संतश्री केशवदासजी त्यागी (फलाहारी बाबा) ने की थी।तीर्थ से जुड़े श्रद्धालु बताते है की फलहारी बाबा अत्यंत सिद्ध सन्त थे,जो भगवान जटाशंकर से बात भी करते थे। वर्तमान में तीर्थ की देख रेख महन्त बद्रीदास जी महाराज कर रहे है।
वही जटाशंकर महादेव पर सतत प्रवाहित जलधारा को लेकर अनेक विशेषज्ञ खोज भी कर चुके है परन्तु नतीजा असफल रहा।तीर्थ से जुड़े श्रद्धालु बताते है कि जटाशंकर की जलधारा और नर्मदा जल का स्वाद एक सा है।
सूक्ष्म रूम से महात्मा निवास करते हैं
कहा जाता है कि यहां सूक्ष्म रूप में तीन सिद्ध महात्मा व एक साध्वी निवास करते हैं,जिनकी अनुभूति फलाहारी बाबा ने स्वयं की थी।
रहस्यमयी है शिवलिंग-
जटाशंकर महादेव मंदिर के साथ अनेक रहस्य समाहित है।मान्यतानुसार यहां पूजा प्रतिदिन ब्रह्ममुहुर्त में हो जाती है।वही कुछ लोगो ने इस बात की सत्यता जानने हेतु रात्रि जागरण करने का निश्चय भी किया,परन्तु ब्रह्ममुहूर्त में सभी की निंन्द लग गई।वही मन्दिर से जुड़े स्थानीय पुरोहितों ने बताया कि यहां अनेको बार ब्रह्ममुहूर्त में आवाज गूँजती है।
महाशिवरात्रि पर यज्ञ व मेला
शिवरात्रि पर यहां सप्त दिवसीय श्री पञ्च कुंडात्मक शिवशक्ति महायज्ञ का आयोजन होता है।और शिवरात्रि के दिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ही भगवान जटाशंकर का सहस्र जलधारा अभिषेक व विप्रजन रूद्राभिषेक करते है।
वही आज जटाशंकर भगवान की मंगला आरती, मध्याह्न आरती एवं शाम को विशेष शृंगार, पूजा अर्चन एवं महाआरती होगी। रात को चारों प्रहर में परम्परागत रूप से भगवान का विशेष द्रव्य से रूद्राभिषेक एवं पूजा-अर्चना होगी। सोमवार होने के कारण इस बार महाशिवरात्रि में लोगों के लिए कल्याणकारी और सुखसमृद्धि का शुभ संयोग बन रहा है,जो कि चार साल के बाद बना है।
होती है मनोकामना पूर्ण
मान्यता है कि मनोरथ सिद्ध करने के लिए सच्चे मन से भगवान जटाशंकर का अभिषेक व पूजन के बाद फलाहारी बाबा की समाधि पर पूजा व माथा टेकने से उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही मनोकामना पूर्ण होने के बाद तीर्थ पर फिर से आना होता है।