राकेश चोहान,पिंटू/आलोट
आलोट । भगवान की कथाएं-लीलाएं प्रेरणादायी होकर मार्गदर्शन भी करती है और जीवन मे बदलाव लाने का संदेश देती है, इसलिए प्रयास यही करे कि कथा मे बताई गई अच्छी बातों को आत्मसात करें ताकि हम अपने कार्य व्यवहार मे परिवर्तन लाये और कल्याण कर सकें ।

यह विचार आचार्य जितेन्द्रकृष्णजी महाराज ने राधा-कृष्ण भक्त मंडल विक्रमगढ व्दारा ओंकारेश्वर महादेव मंदिर परिसर मे आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के पांचवे दिन शुक्रवार को कथा वाचन के दौरान व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि भगवान बडे दयालू, कृपालू है जो निर्मल मन से की गई थोडी सी सेवा,पूजा से भी प्रसन्न हो जाते है । लेकिन हमारा मन बडा चंचल है जो भगवान की भक्ति से दूर भागता है, इसको काबु मे करना होगा तभी हम भक्ति को पा सकते है, गोपियों का प्रेम और निःस्वार्थ भाव ही था जो उन्होंने श्रीकृष्ण को अपने बीच पाया था ।
उन्होंने कहा कि उधार का कर्ज चुकता करना व्यवहारिक बात है लेकिन यदि मुकरे तो यह ऋण अगले जन्म तक भी पीछा नही छोडता है, इसलिए सांसारिक लेनदेन का हिसाब यही कर लेना चाहिए । उन्होंने कहा कि वर्तमान मे व्यक्ति, परिवार बेटे के जन्म पर खुशीयां मनाते है और बेटी के होने पर चिंतित हो जाते है, जबकि सही मायने मे बेटीयां ही अपने माता-पिता का अच्छे से ख्याल रखती और अंतकाल तक सेवा भी करती है यही नही बेटी ही दो घरों को तारती है, इसलिए बेटी को भी बेटे के तरह सम्मान दिया जाना चाहिए ।
कथा मे पुतना का उध्दार करने, गर्गाचार्य व्दारा श्रीकृष्ण का नामकरण संस्कार करने आदि प्रसंगों का वर्णन सहित श्रीकृष्ण सजीव चित्रण भी किया गया । भजनों के दौरान महिला-पुरुषों ने नृत्य किया ।
मंडल व्दारा एक जनवरी को कथा विश्रांति पर पांच कन्याओं का सामुहिक विवाह समारोह का आयोजन रखा गया है, इस अवसर संतो आदि को अतिथि के रूप मे आमंत्रित किया है ।