26 साल बाद भी घर में सुरक्षित लाई गई ईंट

कन्नौद (कमल गर्ग \’राही\’)। आज करोड़ों भारतवासियों का स्वप्न साकार हुआ जब राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई। इसके पीछे संघर्ष की लंबी दास्तान है। संघर्ष में तत्कालीन कुछ युवाओं की भी अहम भूमिका थी। जो पूरे समर्पण भाव से कार सेवक के रूप में शामिल हुए और प्रमाण के रूप में ईट लेकर आए। 1992 बाबरी विध्वंस में कार सेवक के रूप में पानीगांव से 3 युवा शामिल हुए थे। जिनमे दिवंगत भाजपा नेता राजेंद्र व्यास अपनी पहली संतान 3 माह की बिटिया को छोड़कर कार सेवा में शामिल हुए। उनकी पत्नी भारती व्यास बताती है कि जब वह गए तो यह कह कर गए थे, कि राम के पुनीत कार्य के लिए जा रहा हूं लौट आऊं तो सौभाग्य समझना।

उनके साथ गए साथी जालमसिंह बताते हैं कि हम लगभग 6 दिन अयोध्या और उसके आसपास रहे। उस समय अयोध्या के आसपास जब पुलिस गोलियां चल रही थी तब दिवंगत पूर्व विधायक नर्मदा प्रसाद किंकर जो हमारे साथ शामिल थे ने चिल्लाकर राजेंद्र को कहा कि आगे मत जाना लेकिन राजेंद्र व्यास जैसे तैसे आगे बढ़े और एक ईंट लेकर ही वापस लौटे जिस पर किंकर जी ने उन्हें काफी डांट पिलाई थी।राजेंद्र व्यास अपने साथ जो ईंट लाए थे। आज बाबरी विध्वंस के 21 वर्षों बाद भी उनके घर में सुरक्षित रखी हुई है उनके पुत्र अजय व्यास में आज श्री राम मंदिर में ले जाकर का विधि विधान से पूजन करवाया।

इसी प्रकार इससे पूर्व 1990 की रथ यात्रा में शामिल ग्राम के 78 वर्षीय ग्राम पटेल हुकुमचंद अकोतिया ने भी अपनी दास्तान सुनाई उन्होंने कहा कि हम 1990 की भी रथ यात्रा में शामिल हुए थे। रास्ते में काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। कई कई दिनों तक भूखे प्यासे रहना पड़ा, लेकिन हम सब राम के मार्ग पर अटल रहे। श्री अकोतिया को बाद में सामाजिक स्तर पर सम्मानित भी किया गया। उन्होंने कहा कि उनके जीवन का सबसे बड़ा सपना ही था उनके जीवन काल में राम मंदिर का निर्माण बनते हुए देख सकें।