प्रशासन के साथ सामाजिक संस्थाएं जनकल्याण के कार्य में दिन-रात जुटी

सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। इस वैश्विक महामारी के चलते संक्रमण चैन को रोकने के लिए नगर अभी डाउन मोड पर है। नगर से होते हुए दूसरे राज्यों से भी लोगों का पलायन जारी है। समाज के निम्न वर्ग व मध्यवर्गीय भी लॉकडाउन की लंबी अवधि के बाद आर्थिक प्रायोजन के लिए प्रयत्नशील होने को विवश हो चले हैं परिणाम स्वरूप बाजार में भीड़ बढ़ने लगी है। जिसके चलते संक्रमण का खतरा भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं नगर को इस दुविधा से बाहर लाने एवं जरूरतमंदों की पूर्ति करने में प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संस्थाएं कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

Rai Singh Sendhav

लोकसेवा के भाव से जुटा प्रशासन –
अपनी प्रथम बार की नौकरी में एक महिला अधिकारी होकर सोनकच्छ एसडीएम अंकिता जैन हर एक कार्य को महज नौकरी समझकर करने की अपेक्षा एक लोक सेवा का मंच समझकर संपादित कर रही है। एसडीएम के साथ अन्य प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों के द्वारा पूर्ण सेवा भाव के साथ नगर को सुरक्षित रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।

302 दलों ने की डोर टू डोर स्क्रीनिंग –
सोनकच्छ कंट्रोल रूम से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक 302 दलों में जुटे लगभग 800 कर्मचारियों ने डोर टू डोर स्क्रीनिंग का कार्य किया है। सोनकच्छ व टोंक खुर्द मिलाकर लगभग सवा तीन लाख लोगों की स्क्रीनिंग हुई है। इसके अंतर्गत क्षेत्र के लगभग सर्दी खांसी बुखार की समस्या से ग्रसित 3000 लोग चिन्हित किए गए हैं। जिनकी नित्य स्क्रीनिंग की जा रही है।

तीन विश्राम गृह बनाए गए – 
भोरासा टोल टैक्स पर, टोंक खुर्द में एवं दौलतपुर पर पलायन करने वाले मजदूरों के लिए विश्राम गृह बनाए गए। इसके अतिरिक्त लॉकडाउन अवधि के दौरान क्षेत्र में फंसे लगभग 350 सौ लोगों को सरकारी वाहन के माध्यम से उनके घरों तक भेजा गया। साथ ही क्षेत्र की सभी नगर परिषदों के माध्यम से निरंतर जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
जब हम किसी ऐसी प्राकृतिक, भावनात्मक, सामाजिक या वित्तीय परिवर्तन का सामना करते हैं। जिस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता है, तो हमें पीड़ा और दर्द का अनुभव होता है।किसी भी समाज में व्याप्त रोग अथवा कष्ट का दुष्प्रभाव समाज के सम्पूर्ण वातावरण को दूषित करता है और समाज की खुशहाली में अवरोध उत्पन्न करता है । समाज के जागरूक व्यक्तियों को सपूर्ण समाज के हित में ही अपना हित दृष्टिगोचर होता है। ऐसे ही भाव के साथ कुछ सेवा समितियां पीड़ितों व जरूरतमंदों के दुख दूर करने का काम निरंतर कर रही है। जो प्रेरक व सराहनीय है।

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जय हिंद सेवा समिति – 
25 मार्च के बाद से सतत समिति के द्वारा निसहाय व जरूरतमंदों की हर उचित मदद की जा रही है। प्रतिदिन 500 से 700 भोजन पैकेट जरूरतमंदों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 1 दिन का भोजन का खर्च समिति को 10 से 15 हजार के मध्य आ रहा है। जिसकी पूर्ति जनसहयोग के माध्यम से समिति द्वारा की जा रही है।

अखिलेश अग्रवाल मित्र मंडल – 
अग्रवाल मित्र मंडल द्वारा भी 25 मार्च के बाद से सतत भोजन पैकेट जरूरतमंदों को वितरित किए जा रहे है। पुर्व में इस समिति का नित्य 12 से 15 का खर्च नित्य आ रहा था लेकिन बीते 6-7 दिनों से बड़ी संख्या में क्षेत्र से होते हुए लोगों का पलायन जारी है। जिसके चलते अब 1 लाख रू रोज खर्च हो रहा है। समाजसेवी अग्रवाल ने बताया कि अपने मित्रों के सहयोग से वे सेवा के इस पुनीत कार्य में जुटे हुए हैं। अग्रवाल मित्र मंडल द्वारा अभी तक लगभग 75000 से ऊपर लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा चुका है।

श्री मारुति नंदन रामायण मंडल – 
सर्वविदित है कि मंडल द्वारा प्रतिवर्ष हनुमान जयंती पर विशाल भंडारा कराया जाता है। इस वर्ष लॉक डाउन के चलते भंडारा संपन्न नहीं हो पाया। जिसके चलते मंडल 8 अप्रैल से ही सतत आज तक जरूरतमंदों को महाप्रसादी वितरित करता आ रहा है। मंडल द्वारा प्रतिदिन 1000 से 1500 भोजन पैकेट वितरित किये जाते है। मटर पनीर, मूंग का हलवा, आम रस, दाल बाफले, लड्डू, बेसन चक्की अलग-अलग मैन्यू के साथ जरूरतमंदों को भोजन महाप्रसादी के रूप में वितरित किया जा रहा है।

संपादक

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