सोनकच्छ स्थित पुष्प गिरी तीर्थ पर चल रहे पंच कल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन हुआ पंचाचार भगवद पद संस्कार महोत्सव का आयोजन…
आचार्य पुष्प दंत सागर महाराज में चार जैन मुनियों को आचार्य की पदवी से सुशोभित किया….
आचार्य श्री ने अपने पहले शिष्य मुनि तरुणसागर जी महाराज को भी याद किया…
40 साल की कठिन तपस्या के बाद चार मुनिश्री को मिली आचार्य की पदवी…
US अडवाइजरी की ओर से पहली बार दिगंबर जैन समाज के संत श्री प्रसन्न सागर महाराज को मानवीय संवेदनाओं के लिए दिया गया सम्मान…
प्रशन्न सागर जी महाराज, पुलकसागर जी महाराज, प्रमुख सागर जी महाराज और डॉ. प्रणाम सागर जी महाराज को दी गई आचार्य की पदवी….
देवास। देवास भोपाल रोड पर सोनकच्छ स्थित पुष्पगिरी तीर्थ पर जैन समाज का बढ़ा समागम है। यहां चल रहे पांच दिनी पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शुक्रवार को तीसरा दिन था। पंचाचार भगवद पद संस्कार महोत्सव के दौरान यहां आचार्य पुष्पदंत सागर महाराज ने 4 जैन मुनियों को आचार्य की पदवी से विभूषित किया। इन चारों जैन मुनियों की 40 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद उन्हें यह पदवी मिली है। समारोह की बड़ी बात यह रही की जैन संत प्रसन्न सागर महाराज को मानवीय संवेदनाओं के लिए यूएस एडवाइजरी द्वारा सम्मानित किया गया। संत श्री को सम्मानित करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रतिनिधिमंडल यहां आया हुआ था।

आपको बता दें सोनकच्छ स्थित पुष्पगिरी तीर्थ देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुका है। अपने ओजस्वी प्रवचन और अहिंसा के प्रचार के लिए देश दुनिया में ख्यात हुए जैन संत श्री तरुण सागर महाराज की अगुवाई में यहां पुष्पगिरी तीर्थ की स्थापना हुई थी। आज पुष्पगिरी तीर्थ पर शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवाओं के साथ एंबुलेंस जैसी व्यवस्थाएं भी सुचारू चल रही हैं। यहां 27 नवंबर को शुरू हुए पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन 1 दिसंबर को होगा।
महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को यहां थाईलैंड और यूएस आए यूएस एडवाइजरी के सदस्यों ने माननीय संवेदना ओं के लिए जैन संत श्री प्रसन्न सागर महाराज को अवार्ड और मैडल प्रदान किया।
इसके पहले महोत्सव की शुरुआत मंगलाचरण से हुई। उसके बाद यहां मौजूद जैन मुनियों ने आचार्य पुष्पदंत सागर जीके पाद प्रक्षालन किये। आचार्य श्री ने बड़ी तादाद में देशभर से आए जैन समाज के लोगों को अपने साथ मंत्र उच्चारण कराया।
इस मौके पर आचार्य श्री पुष्पदंत महाराज ने अपने पहले से शिष्य तरुण सागर महाराज को याद करते हुए कहा कि आज बड़ी पीड़ा हो रही है कि बाप के रहते बेटा चला गया। आचार्य श्री ने कहा कि हमारी परंपरा विनय की है…, शिष्टाचार की है। हमें उन संतों को ग्रहण करना चाहिए जिन्होंने हमें सिद्धांत ग्रंथ दिए हैं।
आचार्य श्री ने कहा हमने शिष्यों को साधु बनाया है बिल्कुल निश्छल और निष्कपट साधु। हमने जो बीजारोपण किया है वह इनके चेहरों पर मुस्कुराहट के रूप में स्पष्ट झलक रहा है। आज मैं इन्हें उस पद पर लाना चाहता हूं जहां से यह आप सबको दीक्षा दे सकें।
मंत्रोच्चार के साथ आचार्य श्री ने मुनि श्री प्रशन्न सागर जी महाराज, पुलकसागर जी महाराज, प्रमुख सागर जी महाराज और डॉ. प्रणाम सागर जी महाराज को आचार्य की पदवी से अलंकृत किया। इस मौके पर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के प्रतिनिधि के रूप में उनके पुत्र पवन वर्मा, देवास कलेक्टर डॉ श्रीकांत पाण्डेय देवास एसपी चंद्रशेखर सोलंकी भी पुष्पगिरी तीर्थ पहुंचे और आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।