361 बलराम तालाब गायब, करोड़ों का भ्र्ष्टाचार, कई अधिकारियों पर ईओडब्ल्यू में केस दर्ज

मामला देवास जिले का…, जांच में मौके पर नहीं मिले बलराम तालाब, दो करोड़ 92 लाख की गड़बड़ी

Rai Singh Sendhav

– आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में दो केस दर्ज, कृषि विभाग के तत्कालीन अफसर आरोपित 

देवास। बलराम तालाब योजना में गड़बड़ी के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने दो केस दर्ज किए है। गड़बड़ी का यह मामला वर्ष 2011 से 2015 के बीच का है। इसमें कृषि विभाग के अफसरों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर ने भी जांच करवाई थी और इस गड़बड़ी को सही पाया था। पूरे मामले में लगभग दो करोड़ 92 लाख रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार हुआ है।

लघु एवं सीमांत किसानों के हित में सिंचाई व्यवस्था तथा वर्षा के जल के संचय हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा बलराम तालाब योजना का प्रारंभ वर्ष 2010 में किया गया था। बलराम तालाब योजना अंतर्गत देवास जिले में वर्ष 2011 से 2015 के बीच 2037 बलराम तालाबों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई एवं प्रत्येक बलराम तालाब पर न्यूनतम 80,000 रूपये तथा अधिकतम 1,00,000 रूपये अनुदान राशि हितग्राहियों के लिए स्वीकृत की गई। बलराम तालाब निर्माण का कार्य एवं पर्यवेक्षण कृषि विभाग एवं भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारियों को सौंपा गया था। बलराम तालाब निर्माण के दौरान शासन स्तर पर शिकायत होने पर तत्कालीन अवर सचिव सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कलेक्टर देवास को बलराम तालाबों के निर्माण में हुई अनियमितता की जांच हेतु आदेशित किया गया था। कलेक्टर देवास द्वारा जिले के विभिन्न विकासखंडों मे निर्मित कुल 2037 तालाबों का भौतिक सत्यापन कराया गया। जांच दल द्वारा विकासखंड टोकखुर्द, सोनकच्छ व देवास में निर्मित बलराम तालाबों का भौतिक सत्यापन किया गया जिसमें कुल 361 तालाब मौके पर निर्मित नहीं पाए गए। कलेक्टर देवास द्वारा जांच दल की रिपोर्ट के आधार अवर सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मप्र भोपाल के द्वारा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में प्राथमिक जांच क्रमांक 01/2016 दर्ज करवाई गई। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई उज्जैन के पुलिस अधीक्षक दिलीप सोनी ने बताया कि प्राथमिक जांच के दौरान उप पुलिस अधीक्षक अजय कैथवास, उप निरीक्षक प्रेमकिशोर व्यास, आरक्षक विशाल बादल, आरक्षक भरत मंडलोई द्वारा मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन किया गया।

भौतिक सत्यापन में यह पाया गया कि देवास जिले के विकासखंड टोकखुर्द, सोनकच्छ तथा देवास में कुल 361 बलराम तालाबों का निर्माण किया जाना नहीं पाया गया। इसके अलावा इन 361 तालाबों की अनुदान राशि का भुगतान हितग्राहियों को कर दिया गया। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मुख्यालय भोपाल में 15 जनवरी 2016 प्राथमिकी पंजीबद्ध की गई। 29 जनवरी 2016 को यह उज्जैन को प्राप्त हुई। कलेक्टर देवास द्वारा 10 जुलाई 2015 को प्रस्तुत प्रतिवेदन में भी गड़बड़ी उजागर हो गई थी। तत्कालीन कलेक्टर ने वर्ष 2011 से 2015 तक स्वीकृत बलराम तालाबों के भौतिक सत्यापन के लिए छह विकासखंड में 32 जांच दल का गठन कर जनवरी 2015 में जांच कराई गई।

घोटाले के इन किरदाराें पर नामजद केस 

इस घोटाले में विजय अग्रवाल, कृषि विभाग जिला देवास के तत्कालीन उपसंचालक, त्रिलोकचंद्र छावनिया, तत्कालीन सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी, अमृत सिंह यादव, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी, सहदेव गुजरे, तत्कालीन कृषि विस्तार अधिकारी, कैलाश चौहान, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी, बबलू  पुत्र बुद्धराम शाक्य, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी, आबिद अली, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी, तेजसिंह ठाकुर, तत्कालीन कृषि विकास अधिकारी, दुर्गेश नंदनी उईके, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी मुख्य किरदार है। इसके अलावा कृषि विभाग देवास के तत्कालीन अधिकारी व अन्य कर्मचारी तथा विकासखंड टोकखुर्द, देवास व सोनकच्छ के हितग्राहियों द्वारा षडयंत्रपूर्वक अनुदान की कुल राशि 2,92,82,180 रूपयों की आर्थिक क्षति शासन  को पहुंचाई गई। प्राथमिक जांच के दौरान उपरोक्त अधिकारियों एवं हितग्राहियों के विरूद्ध धारा 409,420,467,468,471,120-बी भादंवि एवं संशोधित भ्र.नि.अधि. की धारा 13(1)(ए),13(2),7(सी) का अपराध प्रमाणित पाया जाने से 21 सितंबर 2020 को अपराध क्रमांक  18/2020 एवं 19/2020 दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।

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