जिला कलेक्टर ने लिखे थे तीन बार पत्र, पोर्टल अभी तक बंद

पहले गेहूं वापस करने के निर्देश अब निरस्त…
सिस्टम के बीच पत्राचार में उलझे अन्नदाता

Rai Singh Sendhav

सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। प्रदेश सरकार द्वारा समय-समय पर किसानों के हित में किए जा रहे सारे दावे खोखले साबित होते दिखाई दे रहे हैं। समय-समय पर शासन की दोहरी नीति के द्वारा लिए जा रहे हैं निर्णय अब किसानों के लिए अभिशाप बनते नजर आ रहे हैं। अव्यवस्थाओं के शिकार हुए अन्नदाता जो अभी तक प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ताकत बने हुए थे अब सरकार पर ही प्रश्नचिन्ह लगाने में लगे हैं।
विगत दिनों शासन द्वारा विभिन्न उपार्जन केंद्रों पर जिले में गेहूं खरीदी की गई थी। कई उपार्जन केंद्रों पर पसरी अव्यवस्था के चलते क्षेत्र के किसान शासन को अपनी उपज तोलने से वंचित न रह जाएं इस हेतु शासन के निर्देशों पर जिला प्रशासन द्वारा उपार्जन केंद्रों पर गेहूं खरीदी हेतु समय अवधि बढ़ाई गई व किसानों का माल तोला गया। वहीं पोर्टल बंद होने से क्षेत्र के कई किसानों के अभी तक बिल नहीं बन पाए व अभी तक उन्हें भुगतान नहीं हो पाया। इधर प्रशासन ने अब ऐसे किसानों को उपज वापस करने का निर्णय ले लिया है।

जिला कलेक्टर ने लिखे तीन बार पत्र –

जिले में समर्थन मूल्य पर 411970 मैट्रिक टन गेहूं  का उपार्जन किया गया है। जिसमें से 404296 मैट्रिक टन गेहूं उपार्जन की प्रविष्टि ई उपार्जन पोर्टल पर हुई है। वहीं 7271 मेट्रिक टन गेहूं की प्रविष्टि ई उपार्जन पोर्टल पर नहीं होने से करीब 1031 किसानों को अभी तक भुगतान नहीं हो पाया है। जिसके बाद कलेक्टर जिला देवास द्वारा खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग मध्यप्रदेश को ई उपार्जन पोर्टल पर बिल बनाने हेतु सुविधा प्रदान करने के लिए तीन बार पत्र प्रेषित किया जा चुका है परंतु पोर्टल खोलने की कार्रवाई अभी तक नहीं की गई।

1031 किसानों को गेहूं वापस करने के निर्देश – 

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सोमवार को सहकारिता विभाग की विभागीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आयुक्त सहकारिता द्वारा निर्देश दिए गए कि ऑफलाइन खरीदी मात्रा 7674 मेट्रिक टन कुल 1031 किसानों को वापस कर दी जावे। इधर सोमवार को ही जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला उपाध्यक्ष समिति की बैठक आहूत की गई थी जिसके अंतर्गत कृषकों को गेहूं वापस करने का निर्णय लिया गया है। इधर मंगलवार को उपायुक्त सहकारिता जिला देवास द्वारा जारी आदेश के अंतर्गत सभी समितियों को 31.07.2020 तक समस्त कृषकों को गेहूं वापस कर कार्यवाही से अवगत कराने की बात कही गई है।

मंत्री के संज्ञान में मामला आते ही आदेश निरस्त – 

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जिले के 1031 किसानों को गेहूं वापस करने का मामला जैसे ही सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया के पास पहुंचा तुरंत ही मंत्री द्वारा मामले में संज्ञान लिया गया व तत्काल बुधवार रात्रि में इस आदेश को निरस्त किया गया। इधर इस आदेश के निरस्त करने के बाद उपायुक्त सहकारिता जिला देवास द्वारा गेहूं उपार्जन प्रभारियों को पत्र प्रेषित कर कहा गया कि जिला कलेक्टर द्वारा संचालक खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग को लंबित भुगतान करने हेतु पोर्टल खोले जाने के लिए पत्र प्रेषित किया गया है। साथ ही गेहूं वापस किए जाने के संबंधी निर्देश निरस्त करने की बात कही गई।

सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ व राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने सौंपा ज्ञापन –

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उपायुक्त सहकारिता जिला देवास द्वारा 1031 किसानों  को गेहूं वापस करने के आदेश के बाद आज बुधवार दोपहर समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं के बिल नहीं बनने पर मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार जी एस पटेल को सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ भोपाल के द्वारा सौंपा गया। ज्ञापन देते समय जिला अध्यक्ष हरेंद्र सिंह सेंधव, उपाध्यक्ष लोकेंद्र सिंह सेंधव, सेवा सहकारी संस्था सोनकच्छ प्रबंधक संतोष जी शुक्ला, मार्केटिंग सोसायटी सोनकच्छ प्रबंधक राकेश कुमार भाटी, मार्केटिंग सोसायटी टोंकखुर्द प्रबंधक रविंद्र सिंह सोलंकी व समस्त ऑपरेटर उपस्थित थे। इधर बिल नहीं बनने से भुगतान से वंचित किसानों के हित में गुरुवार को राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक गोठी, अध्यक्ष संतोष जाट के साथ भी कई किसानों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार जी एस पटेल को एक ज्ञापन सौंपा गया।

पत्राचार में उलझे किसान,अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं –

सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ भोपाल के द्वारा सौंपा गये ज्ञापन के अंतर्गत स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जिला उपार्जन समिति व अनुविभागीय उपार्जन समिति के संज्ञान में होने पर ही किसानों से खरीदी कार्य किया गया है। वही मंगलवार को उपायुक्त जिला सहकारिता देवास द्वारा जारी आदेश के अंतर्गत जिले के 1031 किसानों को गेहूं वापस किये जाने के निर्देश के बाद बुधवार रात्रि में पुनः उपायुक्त सहकारिता जिला देवास द्वारा गेहूं वापस किए जाने संबंधित निर्देशों को निरस्त करते हुए कहा गया कि जिला कलेक्टर द्वारा एक बार पुनः लंबित भुगतान को करने हेतु पोर्टल खोले जाने के लिए भोपाल पत्र प्रेषित किया गया।
अव्यवस्थाओं के चलते उत्पन्न ने इस विरोधाभास स्थिति से क्षेत्र के किसान बेहाल है। कभी चिलचिलाती धूप तो कभी बरसात के बीच उपार्जन केंद्रों पर अपनी उपज का तोल कराने के लिए जहां किसान को भारी मशक्कत करनी पड़ी। वही अब भुगतान के लिए भी अन्नदाता शासन का मुंह ताक रहा है। सिस्टम के बीच पत्राचार में उलझे जिले के कई अन्नदाता आज स्वयं को ठगा सा महसूस करते हुए अपनी ही उपज का मोल लेने के लिए पोर्टल खुलने की बाट जोहते नजर आ रहे हैं।

संपादक

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