देवास। मध्यप्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है… भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के रणनीतिकार अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए है… बात देवास जिले की करें…, तो यहां कांग्रेस में टिकट को लेकर असमंजस बरकरार है… हमेशा की तरह कांग्रेस में टिकट के दावेदार कई हैं… प्रमुख नामों में पूर्व महापौर जयसिंह ठाकुर, शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी, युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मनीष चौधरी के नाम चर्चाओं में हैं… इसी बीच अचानक उभरकर आये प्रदीप चौधरी के नाम ने सभी दावेदारों की नींद उड़ाकर रख दी है… नेताओं की नींद उड़ना भी स्वाभाविक है… क्योकि यह नाम हवा में नहीं आया.. नाम स्क्रीनिंग कमेटी के सामने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रखा है… जो कांग्रेस की राजनीति के चाणक्य कहे जाते है।

प्रदीप चौधरी ने हाल ही में एक बड़ी कावड़ यात्रा निकालकर अपना रुख तो स्पष्ट कर ही दिया… वहीं हाल ही में दिग्विजय सिंह ने स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष प्रदीप चौधरी का नाम रखते हुए साक्षात्कार करवाकर देवास की राजनीति में भूचाल ला दिया… प्रदीप पूर्व में पार्षद रह चुके हैं… प्रदीप के अंकल रतनलाल चौधरी ने 1998 में विधायक का चुनाव लड़े थे…वे मात्र 5000 मतों के अंतराल से चुनाव हारे थे… उसके बाद से कांग्रेस की हार का अंतर बढ़ते हुए 50000 तक पहुंच गया… जिसे उपचुनाव में 15-20 हजार का अंतर कम कर जयप्रकाश शास्त्री ने थोड़ी राहत दी थी।
देखा जाए तो देवास विधानसभा कांग्रेस पार्टी पिछले 28 वर्षों से लगातार हार रही है… इस लंबी अवधि में कांग्रेस ने सभी जाति वर्ग और पद पर आसीन नेताओं को टिकट दिया… लेकिन मतों का अंतर लगातार बढ़ता गया… वर्तमान प्रमुख दावेदारों पर गौर करें तो पूर्व महापौर जयसिंह ठाकुर 2003 में देवास से विधानसभा चुनाव लड़े थे… जिसमें उन्हें लगभग 21000 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा था… उसके बाद एक लंबे अरसे तक वे बहुत ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आये… किन्तु पिछले एक-दो वर्ष से वे खुद को जनता के बीच रखने की कोशिश में हैं… जिसे सिर्फ चुनाव के पहले की सक्रियता से जोड़कर देखा जा रहा है… पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कट्टर समर्थक माने जाने वाले जयसिंह का नाम उनके आका द्वारा नही रखा जाना उनके टिकट में सबसे बड़ा रोड़ा बनता दिखाई दे रहा है…, फिर भी जयसिंह को इस बात की उम्मीद है कि टिकट तो उनका ही होगा। इसी के चलते वे रोजाना सुबह से लेकर रात तक विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर अपनी जमीन बनाने में जुटे हैं।
वहीं शहर कांग्रेस के अध्यक्ष मनोज राजानी की भी दावेदारी में कोई कमी नही है… वे पूर्व में महापौर का चुनाव लड़े थे… उन्हें लगभग 13900 वोट से करारी हार का सामना करना पड़ा… महापौर के त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी के बागी उम्मीदवार शरद पाचुनकर को 27000 हज़ार वोट प्राप्त हुए थे। प्रदेश में सरकार किसी भी दल की रही हो किन्तु देवास नगर निगम महापौर हमेशा कांग्रेस ही जीतती आई थी… चाहे वो शकीला हारून शेख रही हो…, जयसिंह ठाकुर हों…, या रेखा वर्मा…। निर्दलीय शरद पाचुनकर को छोड़ हमेशा नगरनिगम महापौर का पद कांग्रेस के पास रहा था, किन्तु राजानी त्रिकोणीय मुकाबले में हारे थे…। फिलहाल तो महापौर भी भाजपा से हैं। अब एक बार फिर संगठन में मजबूत पकड़ के चलते देवास विधानसभा के लिए उनका टिकट की भी प्रबल संभावना देखी जा रही है… वे सज्जन वर्मा के बेहद करीबी होने के साथ कमलनाथ की भी गुड़ लिस्ट में हैं।
इसी बीच देवास जिले की कांग्रेस की राजनीति में बहुत ही तेजी से युवाओं में मनीष चौधरी का चेहरा उभरकर सामने आया। छात्र राजनीति से निकलकर मनीष ने युवाओं, किसानों और स्थानीय मुद्दों पर जमीनी लड़ाई लड़कर शहर की राजनीति में अलग मुकाम स्थापित किया है… मनीष की कार्यशैली की तारीफ दबी जुबान से उनके विरोधी भी करते हैं… आम आदमी के हित की लड़ाई लड़ते हुए कई बार उन्हें स्थानीय प्रशासन और पुलिस से लड़ते हुए देखा गया है। उनकी इसी काबलियत ने उन्हें युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंचा दिया… वे वर्तमान में युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव है… पूर्व सांसद सज्जन सिंह वर्मा के खासमखास भी हैं। यदि राहुल गांधी का यूथ फार्मूला चलता है तो उनके टिकट की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता…।
जिस तरह भोपाल में राहुल गांधी ने महिलाओं को आगे लाने की बात पर बल दिया, उससे शबाना सुहैल और रेखा वर्मा के नाम भी चर्चाओं में हैं। वहीं उपचुनाव लड़े पंडित जयप्रकाश शास्त्री भी जातिगत समीकरण के चलते टिकट की प्रबल दावेदारी में हैं… क्योंकि उपचुनाव, जिसमें कांग्रेस की हार तयशुदा थी, और उस समय जब कोई बड़ा नेता देवास विधानसभा लड़ने को तैयार नही था… उस समय पार्टी के लिए वे न सिर्फ चुनावी मैदान में अड़े थे…, बल्कि उन्होंने भाजपा की लीड को भी कम किया था।
कांग्रेस के गलियारों में चर्चा तो इस बात की भी है कि देवास विधानसभा के उपचुनाव में पूर्व सांसद सज्जन वर्मा ने टिकट के लिए आवेदन मांगे थे और कहा था कि जो आवेदन करेगा उन्हीं में से टिकट होगा। तब 10 आवेदन आये थे… उनमें जयप्रकाश शास्त्री को टिकट मिला था। शेष टिकटार्थियों में मनीष चौधरी, रमेश व्यास, प्रदीप चौधरी और शबाना सुहैल भी थे, लेकिन उस समय आज के प्रबल दावेदारों ने टिकट लेने से किनारा कर लिया था।
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