अप्रैल 2019 की खपत के मान से वितरित किए गए बिल
सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। वैश्विक महामारी के चलते देश लॉकडाउन मोड पर है। देश में निम्न वर्ग के साथ-साथ अब मध्यवर्गीयों की भी आर्थिक हालत खराब होने लगी है। इधर लॉकडाउन में सब्जी मंडी भी बंद होने से कृषकों के माथे पर भी चिंता की लकीरें आने लगी है। आम जनता आर्थिक संकट से जूझ रही है। बैंकों की ईएमआई हो या घर दुकानों के किराए की बात हो मध्यमवर्ग की चिंता कम होने का नाम ही नहीं ले रही। ऐसी स्थिति में अब अप्रैल माह का आया बिजली बिल भी उपभोक्ताओं को झटका देने लगा है। बढ़ी हुई दरों में आए बिजली के बिल से हर आम आदमी चकित है।

बिजली बिल दे रहा झटके –
अप्रैल माह का बिजली बिल की राशि देखकर ही उपभोक्ताओं को झटके लगना प्रारंभ हो गए है।
वही वैश्विक महामारी में लॉकडाउन के चलते विभाग द्वारा तर्क देकर कहा जा रहा है कि अप्रैल 2019 की रीडिंग के आधार पर हर उपभोक्ताओं को प्रोविजन बिजली बिलों का वितरण किया गया है। इस कारण कई उपभोक्ता अपने बिजली बिल की राशि देखकर ही चकित रह गए।
वही लगभग 1200 बिलो पर वर्तमान में अप्रैल 2020 की रीडिंग के आधार पर विभाग के अधिकारी उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर पेन से करेक्शन कर वास्तविक देयक राशि का उल्लेख कर चुके हैं। ऐसे उपभोक्ताओं को अब पेन से अंकित राशि ही भरना है। ऐसे उपभोक्ता जो बिल पर अंकित (प्रिंट) राशि के अनुसार बिल का भुगतान कर चुके हैं। अब अप्रैल 2020 की रीडिंग के आधार पर उनके आगामी बिजली बिलों में राशि का समायोजन कर दिया जाएगा अर्थात रीडिंग के अनुसार यदि खपत कम है तब आगामी बिलों में से राशि घटा दी जाएगी और यदि खपत अधिक रही तब राशि जोड़ दी जाएगी।
सोशल मीडिया पर उठी मांग –
देश के लॉकडाउन मोड पर होने से निश्चित रूप से हमारी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। एक लंबी अवधि से व्यापार व्यवसाय बंद होने से कई लोग हताहत हो चले हैं। सुनहरे भविष्य के सपने देखने वाली कई आंखें अब मानो केवल दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में ही अपनी नजरें जमाए बैठी है। लंबी अवधि से काम बंद पड़े होने से आने वाले समय में बच्चों की स्कूल की फीस, बैंकों की ईएमआई, घर दुकान का किराया आदि के लिए मध्यमवर्ग बेहद चिंतित हो चला है। जिसके चलते अब लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से कई लोग बिजली बिल व बैंकों की ईएमआई माफ करने के लिए सरकार से गुहार लगाते नजर आ रहे हैं।