
निजी ठेका कंपनी नहीं कर पा रही है जलप्रदाय व्यवस्था तो करेंगे ब्लैकलिस्टेड- सभापति रवि जैन
निजी फर्म आईएचपी के कामों को लेकर नेता सत्ता पक्ष ने उठाए सवाल
नेता सत्ता पक्ष के सवालों का जवाब नहीं दे पाए अधिकारी
120 कर्मचारी लगाने का हुआ था अनुबंध काम कर रहे मात्र 90
सभापति ने बनाई जांच के लिए कमेटी जिसकी रिपोर्ट के बाद होगी कार्रवाई
देवास। देवास नगर निगम परिषद की बैठक में सबसे पहले भाजपा के ही 14 पार्षदों ने बहिष्कार कर दिया। उसके बाद चली बैठक में पार्षदों के सवाल लिए गए। जिनका उत्तर संबंधित समिति के अध्यक्ष या जिम्मेदार अधिकारी ने दिए। बैठक में उन पार्षदों के सवालों को शामिल नहीं किया गया जो परिषद का बहिष्कार कर बाहर निकल गए थे।
परिषद की बैठक सीवरेज से लेकर सड़क और गंदगी से लेकर सफाई गाड़ी तक कई मुद्दों पर चर्चा हुई। उसके बाद अहम सवाल नगर निगम में नेता सत्ता पक्ष मनीष सेन ने उठाया। उन्होंने सदन से पूछना चाहा कि जल प्रदाय व्यवस्था जब निजी हाथों में दी गई तब एक जिम्मेदार अधिकारी ने इससे नगर निगम को फायदा होना बताया था। साढ़े तीन करोड़ में फर्म आईएचपी को ठेका दिया गया। और इतना ही खर्च नगर निगम को करना पड़ा रहा है। अनुबंध के अनुसार आईएचपी ने कितने कर्मचारी रखने की बात की थी और कितने कर्मचारी रख रखे हैं? उन्होंने उदाहरण दिया कि पिछले दिनों जल सप्लाई इसलिए नहीं हो पाया कि वहां पानी में ब्लीच मिलने वाला कोई नहीं था। श्री सेन के इन सवालों का जवाब संबंधित अधिकारी नहीं दे पाई। हर बात पर वह यही कहती नजर आई कि मुझे एनालिसिस करना पड़ेगा… देखना पड़ेगा….। पार्षद मनीष सेन ने कहा अगर किसी वार्ड में किसी कारण से जल प्रदाय नहीं होता तो क्षेत्र की जनता पार्षद से पूछती है। लेकिन यहां पार्षदों को ही पता नहीं होता की आईपीएच का कौन कर्मचारी है जो यह काम करेगा। पार्षदों को परेशान होना पड़ता है। अगर वह कंपनी काम कर रही है तो उसके जिम्मेदार अधिकारी कौन है यहां किसी को नहीं पता। यह बात भी सामने आई कि अनुबंध के मुताबिक कंपनी को 120 कर्मचारी रखने थे लेकिन 90 कर्मचारी काम कर रहे हैं। पार्षद मनीष सेन की बात का समर्थन शीतल गहलोत सहित अन्य पार्षदों ने किया। तो सभापति रवि जैन ने कुछ पार्षद और अधिकारियों की समिति गठित करने की बात कहते हुए कहा कि यह समिति आईपीएच कंपनी के काम की निगरानी करेगी। समिति अपनी रिपोर्ट महापौर कमिश्नर और सभापति को देगी। अगर यह पाया जाता है कि आईपीएच ठीक ढंग से काम नहीं कर पा रही है तो न सिर्फ उसे टर्मिनेट किया जाएगा बल्कि ब्लैकलिस्टेड भी किया जाएगा।
कार्यो के सुधार के लिए आयएचपी को 45 दिवस का समय सभापति द्वारा दिया गया।