शिक्षा माफियाओं पर अंकुश के लिए कब जागेगा देवास प्रशासन…

देवास में शिक्षा माफियाओं का बड़ा काकस…

जबलपुर की तर्ज पर यहां भी फीस के नाम पर अनाप-शनाप वसूली…

ड्रेस कॉपी किताब बैग हर जगह कमीशन का खेल…

दिलीप मिश्रा
देवास। मध्य प्रदेश के अधिकांश निजी स्कूलों में अभिभावकों से अनाप-शनाप फीस वसूली की आवाज़ हमेशा उठती रही हैं। बात देवास की करें तो यहां तो शिक्षा माफियाओं का बड़ा कॉकस काम कर रहा है। कुछ निजी स्कूल तो दसवीं और बारहवीं बोर्ड में भी बच्चों को पास करने का जिम्मा लेकर अनाप-शनाप फीस वसूली करते हैं। यही वजह है की देवास में मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों के वह विद्यार्थी परीक्षा देने आते हैं जो पढ़ाई करने में सक्षम नहीं है और बाकायदा यहां से पास भी होते हैं। यही वजह है की अन्य जिलों से हजारों की तादाद में विद्यार्थी देवास से परीक्षा देते हैं।

Rai Singh Sendhav

देवास जिले के अधिकांश निजी स्कूलों में नियमों को दरकिनार कर अनाप-शनाप फीस वसूली जाती है। देवास शहर में प्रतिवर्ष पुस्तकों को लेकर भी हाहाकार बचता है। बच्चों की आवश्यकता के स्कूल बैग, पुस्तक, कॉपियां, और स्कूल यूनिफॉर्म के लिए स्कूलों ने अपने-अपने स्टेशनरी वाले नियुक्त कर रखे हैं। विद्यार्थियों की मजबूरी है कि उन्हें वहीं से खरीदारी करना पड़ती है। हर वर्ष अभिभावक अपनी नाराजगी जताता है। सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकलता है। कभी कलेक्टर कभी शिक्षा अधिकारी को शिकायत करता है लेकिन उसे न्याय नहीं मिल पाता।

आखिर कब होगी देवास में जबलपुर जैसी कार्रवाई

अभिभावकों में जगह आशा की उम्मीद
जबलपुर कलेक्टर द्वारा शिक्षा माफियाओं पर चलाए गए चाबुक के बाद प्रदेश भर के अभिभावकों में आशा की एक नई उम्मीद जगी है। देवास जिले का भी अभिभावक अब कलेक्टर और शिक्षा विभाग के कर्ताओं की तरफ आशा की उम्मीद से देख रहा है कि आखिर जबलपुर की तर्ज पर देवास में कारवाई कब होगी।

जबलपुर में शिक्षा माफियाओं पर प्रशासन का चला चाबुक

मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में निजी स्कूल संचालकों ने विद्यार्थियों के अभिभावकों से फीस के नाम पर लूट मचा रखी है। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शिक्षा माफियाओं की काली करतूत की पोल खोल कर रख दी है। जबलपुर कलेक्टर की सख्त कार्रवाई से कई शिक्षा माफिया चाहे वह स्कूल के डायरेक्टर हो या प्राचार्य जेल पहुंच गए हैं। सिर्फ जबलपुर में ही अब तक करीब ढाई सौ करोड़ की वसूली शिक्षा माफिया होने गलत तरीके से की है। इसका खुलासा होने के बाद कलेक्टर ने सख्त हिदायत दी है की समस्त स्कूल संचालक जिन्होंने अवैध तरीके से छात्रों के अभिभावकों से अवैध वसूली की है उसे वह एक महीने के अंदर लौटा दे अन्यथा बड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच के बाद करीब एक दर्जन से अधिक स्कूल संचालकों को करीब 69 करोड़ रुपए अभिभावकों को लौटाने का नोटिस जारी किया गया है वहीं अब तक 11 स्कूल संचालक और प्राचार्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

क्या कहता है नियम

नियम यह कहता है कि अगर किसी स्कूल ने सालाना सारे खर्चे काटने के बाद 15 फ़ीसदी से अधिक कमाई की है तो वह फीस नहीं बढ़ा सकता। अगर कोई स्कूल 10 फ़ीसदी या इससे अधिक फीस बढ़ता है तो उसे इसकी जानकारी अभिभावकों को 90 दिन पहले देना होती है, वही अगर 15 फ़ीसदी से अधिक फीस बढ़ता है तो उसे शासन से अनुमति लेना होती है। इसके अलावा ऑडिट रिपोर्ट प्रति वर्ष पोर्टल पर दर्ज करना आवश्यक है। जबकि अधिकांश स्कूल ऐसा नहीं करते।

संपादक

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