मुहिम के रूप में बड़ी कार्रवाई की दरकार…
अवैध और अनाधिकृत कॉलोनीयों की देवास में बाढ़…
देवास नगर निगम को उठाने होंगे बड़े कदम…
अवैध प्लाटों पर चल रहे निर्माण को तत्काल रोकने की जरूरत…
(दिलीप मिश्रा)

देवास। अवैध और अनधिकृत कॉलोनी मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या है। इसे लेकर प्रदेश सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है। कृषि भूमि पर प्लाट बेचने वालों पर अब रासुका जैसी तैयारी कर रही है सरकार। इसे लेकर जल्दी आने वाला है एक विधेयक।
प्रदेश सरकार प्रदेश भर में पनप रही अवैध कॉलोनी को लेकर काफी गंभीर है। इसे लेकर सभी जिला कलेक्टर को निर्देश दिए गए हैं। जिसके चलते भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में तो बड़ी कार्रवाई भी शुरू हो गई है। अवैध और अनाधिकृत प्लाट बेचने वालों पर कार्रवाई के मामले में देवास थोड़ा पीछे है हालांकि अब देवास में भी नगर निगम ने ऐसी कार्यवाही की शुरुआत कर दी है।
आपको बता दे कि देवास नगर निगम ने ऐसी तमाम अवैध और अनधिकृत कालोनियां चिन्हित कर रखी है। जिन पर कार्रवाई की शुरुआत हो चुकी है।
आपको बता दे की देवास के राजोदा रोड पर बीसीएम स्कूल के पास कृषि भूमि सर्वे क्रमांक 539/2 और 540/4/2 कुल रकबा 0.379 हेक्टेयर पर अवैध रूप से कॉलोनी विकसित की जा रही है। यह कॉलोनी कुतुबुद्दीन पिता अलाउद्दीन शेख के द्वारा अनधिकृत रूप से विकसित की जा रही है। जिस पर अब नगर निगम मध्य प्रदेश नगर पालिका ( कॉलोनी विकास) नियम 2021 के नियम 22 के तहत कार्रवाई कर रही है।
इसे लेकर नगर निगम के भवन अधिकारी द्वारा बाकायदा सूचना प्रसारित की गई है कि उक्त अनधिकृत कॉलोनी में कोई भी व्यक्ति या संस्था भूखंड अंतरण नहीं करें।
और भी हैं दर्जनों अवैध/ अनधिकृत कालोनियां
आपको बता दे की देवास में यह तो अभी शुरुआत है। इसी तरह की दर्जनों अवैध और अनधिकृत कालोनियां शहर के उज्जैन रोड, बिंजाना रोड, पटलावदा रोड, उज्जैन बाईपास रोड के आसपास, नोसराबाद क्षेत्र, उज्जैन रोड इटावा के आसपास, मक्सी रोड पर तुलजा विहार के सामने, बिलावली के समीप ऐसे दर्जनों स्थानों पर डायवर्सन, टीएनसी, अनुज्ञा, और रेरा जैसी प्रक्रिया के बिना काटी गई इन कॉलोनीयों में प्लांट सस्ते दरों पर बेंच दिए जाते हैं।
धड़ल्ले से बन रहे मकान
देवास में ऐसी अवैध और अनधिकृत कॉलोनी में कई कॉलोनाइजर तो अपने प्लाट बेचकर फ्री हो गए और कई जगह अभी भी प्लाट बेचे जा रहे हैं। ऐसी आवेदन और अनधिकृत कॉलोनी में चल रहे निर्माण कार्यों को नगर निगम प्रशासन द्वारा तत्काल रोका जाना चाहिए, और कॉलोनाइजरों से प्लाट धारकों का पैसा वापस कराना चाहिए, ताकि कॉलोनाइजरों पर शिकंजा कसने के चक्कर में गरीब प्लाट धारक का नुकसान नहीं हो।