एक गलत इंजेक्शन से तबाह हुई जिंदगी, ना मिला इलाज ना रहा आशियाना

देवास। दर ब दर की ठोकर खाता एक परिवार जिसकी कोई रात जिला अस्पताल के
बरामदे में गुजरती है तो कोई उस किराए के कमरे में जिसकी बिजली कटी हुई है, किराया नहीं दे पाने के कारण मकान मालिक का किराए के तकादा का डर हमेशा सताता है। दो बच्चे उनमें भी एक मानसिक विकलांग जिनकी पेट की भूख मिटाने के लिए दूसरों पर आश्रित यह परिवार शुरू से ऐसा नहीं था। चार साल पहले सब कुछ ठीक था। हंसते खेलते इस परिवार की गृहणी को डिलेवरी के दौरान लगाए गए एक गलत इंजेक्शन से सब कुछ तबाह हो गया।

Rai Singh Sendhav
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जी हां हम बात कर रहे है देवास की गिरजा कुमावत की जिन्हें वर्ष 2016 में डिलेवरी के लिए देवास के जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। उस समय उनकी रीढ़ की हड्डी पर लगाए गए एक इंजेक्शन के चलते उनकी कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया, जो आज तक यथावत है। हालात यह है कि शौच से लेकर तमाम कामों के लिए पति विशाल कुमावत को मदद करना पड़ती है। पत्नी की बीमारी और छोटे बच्चों की जिम्मेदारी के चलते विशाल की नौकरी जाती रही। खर्च बढ़े और आमदनी शून्य हो गई। इसी बीच विशाल के पिता ने कर्ज के चलते अपना मकान तक बेच दिया। अब एक किराए के कमरे में जैसे-तैसे गुजर बसर करने वाला विशाल का परिवार आज कलेक्ट्रेट पहुंचा और मदद की गुहार की।

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विशाल इतना परेशान हो गया कि पिछले दिनों जिला अस्पताल के बरामदे में पत्नी बच्चों को छोड़कर चला गया। कुछ घंटे अलग रहने के बाद उसका मन नहीं माना और वह अपनी जिम्मेदारी का बोझ उठाने का फैसला कर वापस लौट आया। आज उसकी एक अदद ख्वाहिश है कि उसकी पत्नी का इलाज हो जाए और वह चलने फिरने लगे, हालांकि इसके लिए पिछले तीन चार साल से संघर्षरत विशाल को शासन प्रशासन की तरफ से मदद तो मिली किंतु वह इलाज के लिए पर्याप्त नहीं थी।
आज परिवार के साथ पहुंचे विशाल ने एक बार फिर शासन प्रशासन से अपनी पत्नी का इलाज कराने की गुहार लगाई है। विशाल का कहना है कि पहले भी जिला अस्पताल में कई बार मिर्जा को भर्ती किया जा चुका है। यहां से उसे एमवायएच इंदौर रैफर कर दिया जाता है और दो चार दिन बाद एमवायएच इंदौर से फिर देवास भेज दिया जाता है। अगर उन्हें व्यवस्थित इलाज मिले तो वे कहीं भी इलाज कराने को तैयार है।

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इस मामले में कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला का कहना है कि मामला पुराना है। पूर्व में भी इन्हें मदद की जा चुकी है। हमने भी रेडक्रास से मदद की है। परिवार वाकई परेशान है। किंतु यह लोग किसी निजी अस्पताल में इलाज कराना चाहते है। हमने इनसे कहा है कि अगर आप सरकारी अस्पताल में भर्ती होते है
तो आपके इलाज की पूरी व्यवस्था की जाएगी।

संपादक

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