सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। इस वर्ष भगवान शिव को प्रिय श्रावण मास 300 साल बाद दुर्लभ संयोग में आया है। सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुरू हो रहे श्रावण का समापन तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में ही होगा। एक माह में पांच सोमवार, दो शनि प्रदोष और हरियाली सोमवती अमावस्या का आना अपने आप में अद्वितीय है। ज्योतिषियों के अनुसार श्रावण मास में ग्रह, नक्षत्र व तिथियों का ऐसा विशिष्ट संयोग बीती तीन सदी में नहीं बना है। जिसके चलते भगवान शिव की आराधना के लिए कई भक्त सुबह से शिवालयों में पहुंच रहे है। हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते प्रति वर्ष की तुलना में शिवालयों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ इस वर्ष कम नजर आ रही है।

श्री पिपलेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु –

जीवनदायिनी मां कालीसिंध नदी के तट पर स्थित बाबा श्री महेश्वरानंद जी की तपोस्थली श्री पिपलेश्वर महादेव मंदिर पर सुबह से ही श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए पहुंचने लगे। अति प्राचीन इस पिपलेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया जाता है। दुर्लभ संयोग के चलते सोमवार से सावन की शुरुआत होने से कई श्रद्धालु अलसुबह से ही मंदिर में बाबा भोलेनाथ की आराधना के लिए पहुंचे।
श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर में बिखरा प्राकृतिक सौंदर्य –

सोनकच्छ से 3 किलोमीटर दूर ग्राम कोटडा में अति प्राचीनतम श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। मां काली सिंध नदी के तट पर वर्षा काल के बाद मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली बिखरी पड़ी है। यहां भी सुबह से शिव भक्त भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए आ रहे हैं। श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर पर विगत 6 वर्षों से सावन माह में लगातार प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया जाता है। साथ ही यहां विश्व का चौथा व भारत का तीसरा मां श्री धूमावती शक्तिपीठ स्थित है। प्रतिवर्ष सावन माह में शिव और शक्ति के स्वरूप की आराधना के लिए बड़ी संख्या में दूरदराज से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।