Sonkatch: किसान के साथ-साथ अब व्यापारी भी परेशान….

हम्माल तुलावटी श्रमिक संगठन की हड़ताल के बाद से बंद है सोनकच्छ मंडी….
सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लंबी अवधि के लॉकडाउन का प्रतिकूल प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था को पुनः गति देने में हमारी कृषि उपज मंडीयां अपना खासा योगदान दे सकती है। लेकिन लगातार अव्यवस्थाओं के चलते इन दिनों सोनकच्छ मंडी में मानो संकट के बादल छाने लगे हो जिससे किसान के साथ-साथ अब व्यापारी भी परेशान होने लगा है।

Rai Singh Sendhav
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हम्माल व तुलावटियों की हड़ताल के बाद से बंद मंडी – 
शासन द्वारा मध्य प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में मॉडल एक्ट के तहत बड़े इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटे से मिलने वाली हम्माली एवं तुलावटी पारिश्रमिक को बंद करने के कारण स्थानीय हम्माल तुलावटी श्रमिक संगठन बीती 1 तारीख से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। जिसके चलते सोनकच्छ मंडी एक बार फिर बीते 3 दिनों से बंद है। इधर शासन के इस निर्णय के बाद से सोनकच्छ मंडी में लगभग 270 हम्माम एवं 33 तुलावटीयों को अब अपनी व अपने परिवार की चिंता सताने लगी है। 

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संयुक्त संचालक मंडी बोर्ड ने कहा –
शुक्रवार को सुबह संयुक्त संचालक मंडी बोर्ड डॉ. एच बी सिंह कृषि उपज मंडी कार्यालय पहुंचे। जहां इस पूरे मामले को लेकर सिंह ने मीडिया से कहा कि किसान जब मंडी में अपनी उपज लेकर आता है तब उससे दो बार तुलाई ली जाती है। इसे समाप्त करते हुए शासन ने निर्णय लिया है कि किसान से एक बार की तुलाई का पैसा लिया जाए। अधिकांश मंडियों में जो हमारे बड़े तोल कांटे लगे हैं उनसे तुलाई हो जाती है और बाद में जो तुलाई होती थी जो परंपरा अनुसार चल रही थी। वो लगभग अब समाप्त सी हो गई है। जिससे तुलावटियों को उनका पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है। जिस कारण वे हड़ताल पर है। बहुत जल्दी हम लोग समाधान कर रहे हैं। हम्मालों व तुलावटियों से सामंजस बनाने का प्रयास कर रहे हैं। नीलामी शीघ्र शुरू हो जाएगी। शासन की ओर से नीलामी बंद नहीं की गई है।

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बीते दो-तीन माह से है ऐसे ही हालात – 
लॉक डाउन की अवधि के दौरान सौदा पत्रक के माध्यम से मंडी में खरीदी की जा रही थी। इस दौरान नीलामी बंद होने से किसान को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाया। जिसके बाद शासन के निर्देशों पर उपार्जन केंद्र द्वारा खरीदी गई उपज को मंडी प्रांगण में हुआ प्लेटफार्म पर रख दिया गया था। इस समय अव्यवस्थाओं के चलते मंडी प्रांगण में पर्याप्त जगह न होने के चलते एक बार फिर नीलामी बंद हो गई। इधर कई दिन के बाद जब मंडी प्रांगण से व प्लेटफार्म से उपज को हटाकर तीन-चार दिनों से नीलामी शुरू हुई हुई थी कि हम्मालों व तुलावटियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के बाद एक बार फिर मंडी बीती 1 तारीख से बंद हो गई।

संपादक

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