बेमौसम हुई बारिश ने किसान की चिंता और बढ़ाई
सोनकच्छ (संदीप गुप्ता)। तमाम एक्सपर्ट का मानना है कि कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया को बड़ा आर्थिक नुकसान होने वाला है।ऐसी स्थिति में संकट के वक्त जो चीज सबसे बड़ी संपदा साबित हो सकती है। उसे लॉकडाउन की रणनीति लंबे समय के लिए गले की फांस बना सकती है।कृषि-मंडियां भी बाकी चीजों के बाजार की तुलना में कहीं ज्यादा विस्तृत होती हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में खेती-किसानी का हलका एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जो तालाबंदी के बावजूद अपनी गति से चलता रह सकता था।
अभी तक सब्जी मंडीयां बंद होने से कृषकों के चेहरे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी। किसान अब सब्जियों के साथ-साथ अपनी प्याज की फसल को लेकर अधिक चिंतित हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सोनकच्छ अनुविभाग में 2350 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की फसल की बोवानी की गई है। लगभग 470000 क्विंटल प्याज के उपज सोनकच्छ अनुविभाग में ही है।
इधर बेमौसम हुई बरसात के बाद जल्दी प्याज सड़ने का भय किसानों की चिंता बढ़ाने में लगा है। प्याज की उपज को सड़ने से बचाने के लिए इसे खुले व ठंडे स्थान में रखा जाता है।कई स्थानों पर प्याज की उपज खेत पर ही खुले में रखी हुई थी। रविवार को हुई बारिश ने मानो किसान की मेहनत पर ही पानी फेर दिया हो।
इधर प्याज की उपज को नियत समय अवधि तक रखने के लिए एग्जास्ट फैन, कट्टिया आदि व्यवस्थाओं के लिए भी किसान कालाबाजारी का सामना कर रहे हैं। 5 रू मूल्य की कट्टी अब सीधे 12 रू हो चुकी है। समय रहते यद्यपि सरकार ने प्याज खरीदी शुरू नहीं की अथवा मंडिया शुरू नहीं कराई तब इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि कई किसानों की प्याज की उपज मंडिया पहुंचने से पहले ही सड़क पर बिखरी दिखेंगी।

इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर समस्या का शीघ्र निराकरण
किया जावेगा।
अंकिता जैन, एसडीएम सोनकच्छ