संतों के जीवन का आधार परोपकार करना ही होता है: मुकुन्दमुनि जी

स्वामी परमानन्द तीर्थ महाराज की जयंती पर वितरित की निःशुल्क शेक्षणिक सामग्री

बागली, (सोमेश उपाध्याय)। महापुरूषों ने समाज को सदा नई दिशा दी हैं। दिव्य संतों का संपूर्ण जीवन मानव सेवा में सहयोग प्रदान कर लोक कल्याण को समर्पित रहता है।

Rai Singh Sendhav

उक्त उद्गार मुकुन्दमुंनी प.रामाधारजी द्विवेदी ने वाग्योग चेतना पीठम के तत्वधान में स्वेक्षिक सतपाय सहायता समूह द्वारा ब्रह्मालीन स्वामी परमानन्दतीर्थ महाराज की 87वीं जन्मजयंती के मौके पर आयोजित निःशुल्क शैक्षणिक सामग्री वितरण एव.आदरांजली समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संतों का कार्य समाज में सद्भाव का वातावरण बनाकर सन्मार्ग की प्रेरणा देना होता है।कार्यक्रम की शुरुआत स्वामी परमानन्द तीर्थ महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन व माल्यार्पण के साथ हुआ। इसके पूर्व भीण्ड से आए स्वामी कृष्ण चैतन्यतीर्थ जी ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत कर बसन्त की महिमा उल्लेखित की।समिति के अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव,कन्या मा.वि के प्रधानध्यापक जगदीश राठौर मंचासीन थे।इस दौरान अरुण मेहता,जगदीश राजगुरु, रवि धांडे आदि के आतिथ्य में कन्या शाला,प्राथमिक विद्यालय की बालिका,संस्क्रत विद्यालय के बटुकों समेत 300 विद्यार्थियों को आध्यात्मिक एव.शैक्षणिक पुस्तकें व पेन का निःशुल्क वितरण किया गया!ततपश्चात कन्या भोज किया गया।कार्यक्रम में प.सत्यनारायण व्यास,प.ओमप्रकाश शर्मा,प.राकेश नागौरी,प.मुरलीधर शर्मा,मुकेश शर्मा,अनिल शर्मा,गोपाल पंचौली, गोपाल शर्मा,सोमेश उपाध्याय समेत शक्तिपात परम्परा के साधक,बटुक एव.श्रद्धालु मौजूद थे!कार्यक्रम का संचालन आलोक खरे ने किया व आभार अध्यक्ष श्रीवास्तव ने माना।

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