कन्नौद, (कमल गर्ग \”राही\”)। प्रभु मिलन का एकमात्र रास्ता सत्संग ही है , सत्संग से ह्रदय परिवर्तित होता हे ,मन शांत रहता है ,अच्छे विचार आते है ,जैसे डाकू बालिया ने संतो का सानिध्य पाकर वे वाल्मिकी जी बन गए।

उक्त उदगार श्री राम कथा के दूसरे दिन स्वामी अमृत जी महाराज ने व्यास गादी से व्यक्त करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन मे राम नाम से बडा कोई मन्त्र नही है , हमे हर समय राम नाम का जाप करते रहना चाहिए, हमे अपनी दृष्टि सही रखनी चाहिए, दृष्टि सही होगी तो मन सही रहेगा ,मन सही रहेगा तो आचरण सही रहेगा ,नही तो दृष्टि खराब रखने पर रावण जेसा पतन ही होगा। आरती बाद प्रसाद वितरित किया गया।