दिल्ली। खेलों में अनुशासन और खेल भावना बनाये रखना महत्वपूर्ण है शाकाहारी होना बेहतर है। मांसाहारियों को जो तत्व मांस से मिलते हैं, वे ही तत्व शाकाहारियों को कई प्रकार के वनस्पति से भी प्राप्त होते है। खिलाड़ी शरीर के कार्य करने के लिए ऐसा कोई पौष्टिक तत्व नहीं है, जो वनस्पतियों व शाकाहारी भोजन से प्राप्त नहीं किया जा सकता । यह बात अर्जून अवार्डी कोच कृपाशंकर बिश्नोई ने रेलवे प्रशिक्षण शिविर के दौरान पहलवानों से कही ।

दर्शल भारतीय रेलवे ने अपने 58 चुने हुए पहलवानों का प्रशिक्षण शिविर इन दिनों नैनीताल की पहाड़ियों पर 1938 मीटर की ऊंचाई पर लगाए हुए है, यह प्रशिक्षण शिविर 30 मई से शुरू होकर 28 जून तक चलेगा। प्रशिक्षण शिविर नैनीताल की जिस संस्था में आयोजित किया गया है, वहां मासाहारी भोजन, शराब, बीड़ी, तमाखू आदि का सेवन करना वर्जित है । वैसे तो रेलवे प्रशिक्षण शिविर में कुछ पहलवानों को छोड़ दे तो ज्यादातर कोच व पहलवान शाकाहारी है । फिर भी रेलवे कोच ने पहलवानों को मासाहारी भोजन ना लेने की हिदायत दी है ।
कृपाशंकर ने पहलवानों को अनुसाशन में रहकर संस्था के बनाये हुए नियनो का सख्ताई से पालन करने को कहा है । उन्होंने कहा की किसी भी खिलाड़ी के प्रदर्शन का मांसाहारी या शाकाहारी होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। बिश्नोई कहते है कि आपको जानकर हैरानी होगी की दुनिया के कई दिग्गज खिलाड़ी शाकाहारी हैं,जो मांसाहारी रहे है वो भी शाकाहारी होने के बाद भी कई कीर्तिमान बनाते रहे।
किसी खिलाड़ी को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बीफ या मास खाना या ना खाना अनिवार्य नहीं है। खिलाड़ियों के लिए डाइट महत्वपूर्ण जरूर होती है, वे कहते है कि खिलाड़ियों को अपने खेल पर उनकी कड़ी मेहनत उन्हें सफल बनाती है।