कर्म प्रधान है ,जीव जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल मिलता है- स्वामी अमृतराम जी

कन्नौद (कमल गर्ग \”राही\”)। मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है ,क्योंकि कर्म प्रधान है, ब्रह्म सत्य है , जगत मिथ्या है। दुखो की जड़ मोह ही है।

Rai Singh Sendhav

श्री साई मन्दिर अयोध्या धाम पर चल रही श्री राम कथा के छठे दिन स्वामी सन्त श्री अमृतराम जी महाराज ने अपने प्रवचन मे कहा की हमे सुख मिलता है तो उस पर घमंड नही करना चाहिए।

ताप, पाप तथा संताप तीनों से सत्संग से ही छुटकारा मिल सकता है ,कथा स्थल पर बडी सख्या मे श्रद्धालु कथा का लाभ ले रहे है।

संपादक

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