कन्नौद (कमल गर्ग राही)। मनुष्य का चरित्र गिर जाता है, तो समझो सब कुछ बरबाद हो गया ,भगवान ने आपको मनुष्य योनी दी है , जिसमे अधिक समय सत्संग व परमात्मा मे लगाना चाहिए, लेकिन प्रायः देखा गया की मनुष्य आज के समय मे आपाधापी मे लगा हुआ है , प्रभु स्मरण के लिए उसके पास समय ही नही है।

राम कथा के चोथे दिन व्यास गादी से स्वामी सन्त श्री अमृत राम जी महाराज ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जब मुसीबत आती हे तब प्रभु याद आते है , कह गया है कि \”सुख मे सुमिरन सब करे, सुख मे करे न कोय… , जो सुख मे सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय…\”,मनुष्य को हर समय प्रभु स्मरण करते रहना चाहिए , उनहोने कहा सांसारिक सुख क्षणिक होता है ,जगत का सुख परमात्मा की शरण मे ही मिलता है ,किसी काम को कल पर नही छोडना चाहिए। कल-कल करते हुए एक दिन काल आ जाता है, इस अवसर पर ब्रह्म लीन हुए स्वामी राजेशवरा नन्द जी महाराज को श्री राम नाम का कीर्तन करते हुए श्राद्ध सुमन अर्पित किए।