मुकेश पाटीदार/बागली
मालवा और देवास जिले के प्रसिद्ध जैन तीर्थ शिवपुर में 5 फरवरी को एक भव्य- इतिहास का सृजन होगा। मालवा में जिन्होंने नवनिर्माण का अनोखा प्रकाश पुंज फैलाया है, धर्म जागरण का दिव्य शंखनाद किया है, पिछले 40 वर्षों से लगातार मालव भूमि में विचरण कर के जन-जन के मन में आस्था, विश्वास तथा समर्पण के केंद्र बने हैं 1280 परमात्ममंदिर उपाश्रय- गौशाला का निर्माण करवा कर एक अमिट इतिहास का सृजन किया है। ऐसे

मालव विभूषण पूज्य अनुयोगाचार्य श्री वीररत्नविजयजी महाराज साहब को 5 फरवरी रविवार, रविपुष्यामृत योग में आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया जाएगा जिन जगत में आचार्य पद का सर्वोच्च स्थान -मान सम्मान है। जैसे हिंदू धर्म में संत-महंत के बाद शंकराचार्य का प्रमुख स्थान है वैसे जैन धर्म में मुनि गणि-पन्यास प्रवर्तक उपाध्याय पद के बाद आचार्य पद प्रदान किया जाता है।
शिवपुर के ट्रस्ट सचिव विनोद बाबेल एवं संजय लुणावत ने जानकारी देते हुए बताया -महामहोत्सव के अंतर्गत 1 से 5 फरवरी तक महामहोत्सव का आयोजन रखा गया है। जिसके अंतर्गत 1 फरवरी को दीक्षार्थी संयमी तिलगोता का वर्षीदान का वरघोड़ा तथा पूज्य अनुयोगाचार्य श्री का 60 वा दीक्षा-दिन मनाया जाएगा।
शिवपुर में सूरिप्रेम पद प्रदान नगर की रचना की गई है। संपूर्ण तीर्थ संकुल को सजाया गया है कलात्मक लाइट डेकोरेशन से रात्रि को शिवपुर अनूठा ही लगता है। नागेश्वर के कलाकारों ने मंदिर – धर्मशाला – भोजनशाला को नया स्वरूप प्रदान किया है । अहमदाबाद के अश्विन जैन तीनो मंदिरों में प्रभु की आकर्षक अंग रचना करेंगे। 5 फरवरी को मुख्य कार्यक्रम आचार्य पद प्रदान का होगा। जिसमें मध्यप्रदेश-मुंबई -चैन्नई -राजस्थान के हजारों भक्त सम्मिलित होंगे आचार्य श्री विजय पद्मभूषणसूरीजी के साथ 35 साधु-साध्वी का भी आगमन होगा। –
उल्लेखनीय है अनुयोगाचार्य श्री वीररत्नविजय महाराज साहब ने 11 साल की उम्र में संयम का स्वीकार किया था आप अनेक भाषा के जाता होने के साथ-साथ ओजस्वी प्रवचनकार व तेजस्वी साहित्यकार भी है। इस महामहोत्सव के लिए मालवा वासी उत्साहित है।