एक ऐसी कहानी, जो मध्यम वर्गीय परिवार के दैनिक संघर्षों को बखूबी दिखाती है, के साथ सोनी सब के ‘वागले की दुनिया-नयी पीढ़ी नये किस्से’ में महिलाओं की एक ऐसी समस्या पर रौशनी डाली जा रही है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। अपने दोस्त के खोये लैपटॉप के पैसे चुकाने के लिये सखी (चिन्मयी साल्वी) एक पार्ट टाइम नौकरी करने लगती है और उस समय खुद को एक मुश्किल स्थिति में पाती है, जब उसका बॉस (बख्तियार ईरानी) उसकी ड्रिंक में नशे की दवा मिलाकर उसका अनुचित फायदा उठाने की कोशिश

करता है।
परिवा प्रणति (वंदना वागले) और चिन्मयी साल्वी दोनों ने इंडस्ट्री में एक महिला होने की चुनौतियों और संवेदनशीलता के साथ इस दृश्य को फिल्माने के बारे में बात की।
महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बात करते हुये, परिवा प्रणति ने कहा, “इंडस्ट्री में महिलाओं का काम करना अपने-आप में चुनौतीपूर्ण है। आपको हर समय यह सुनिश्चित करना होता है, कि आप अपना काम करते समय फंस नहीं रही हैं। यह कई महिलाओं के लिये चुनौतियों से भरा है और इस चुनौती को पार करने में कई महिलायें असफल रहती हैं। दुखद सच्चाई यह है कि कहीं-न-कहीं हर महिला का नाजायज फायदा उठाया जाता रहा है और वे इस बारे में कभी भी कुछ भी बोल पाने में सक्षम नहीं हो पातीं। इस सीन से हर महिला कहीं– न-कहीं जुड़ाव महसूस करेंगी, क्योंकि यह उनके लिये वास्तविकता रही है। एक ऐसे मुद्दे को सामने रखना, जिसमें बहुत ज्यादा संवेदनशीलता की जरूरत होती है, अपने-आप में एक चुनौती है और ‘वागले की दुनिया’ ने इस जिम्मेदारी को उठाते हुये, हमेशा की तरह पूरी ईमानदारी से इसे निभाया है। हम जब इस सीक्वेंस की शूटिंग कर रहे थे, तो पूरी यूनिट बेहद भावुक थी। मुझे लगता है कि एक सुसभ्य समाज के रूप में विकसित होने और यह सुनिश्चित करने के लिये हम हर मायने में एक-दूसरे की कद्र करते हैं, के लिये महिलाओं का सम्मान और उनकी सुरक्षा करना बेहद महत्वपूर्ण है। अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिये और किसी भी महिला को अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के बारे में बोलने से हिचकिचाना नहीं चाहिये। हम आप पर विश्वास करेंगे।”
इस सीन के फिल्मांकन के बारे में बताते हुये, चिन्मयी साल्वी ने कहा, ‘’इस सीन की शूटिंग करना एक बेहद भावुक कर देने वाला अनुभव था। इसमें कोई शक नहीं है कि बख्तियार सर और क्रू के बाकी सदस्यों ने मुझे बेहद सहज महसूस करवाया, लेकिन इस सीन ने अपना प्रभाव छोड़ा। महिलाओं को हर दिन इस तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ता है और इस बात का मुझे बेहद अफसोस है, लेकिन इसके साथ ही इस पर बहुत ज्यादा गुस्सा भी आता है। महिलाओं के शोषण की कई अनसुनी आवाजें और अनकही कहानियां हैं, जिन्हें मर्यादा के नाम पर दबा दिया जाता है। महिलाओं का शोषण करने वालों को दोष देने के बजाय, हम अक्सर पीड़ित महिला पर ही आरोप लगाने लगते हैं; उसके चरित्र पर ऊंगली उठाते हैं, वो कैसे कपड़े पहनती है, लोगों से किस तरह से बात करती है और कौन सा काम करती है, उस पर बातें करने लगते हैं। मुझे लगता है कि एक समाज के तौर पर हमें खुद का विश्लेषण करने और महिलाओं की सुरक्षा के मामले में अपनी प्राथमिकताओं को फिर से तय करने की जरूरत है। मैं खुद को बेहद खुशनसीब मानती हूं कि मुझे एक ऐसा प्लेटफॉर्म मिला है, जहां मैं सिर्फ इस बारे में बात कर सकती हूं, बल्कि उन विषयों पर रौशनी भी डाल सकती हूं, जिस पर हमें तत्काल ध्यान देने की जरूरत है और मैं ‘वागले की दुनिया’ की आभारी हूं, जो हमारे समाज की कड़वी सच्चाईयों पर जागरूकता फैलाते हुये महिलाओं को निरंतर सशक्त बना रहा है और उनका उत्थान कर रहा है।‘